स्कंद पुराण के अनुसार, जगन्नाथ जी की पहली रथ यात्रा तब हुई, जब परमात्मा परमेश्वर माधव रूप में पुरुषोत्तम क्षेत्र में साक्षात उपस्थित थे। उसी स्थान पर, जहां यह श्रीमंदिर है। जब वे अंतर्धान हो गए, उसके पश्चात अवंती (उज्जैन) के महाराजा इंद्रद्युम्न की प्रार्थना, भक्ति व तपस्या से परमात्मा का यहां दारु विग्रह के रूप में आविर्भाव हुआ। जिस स्थान पर भगवान का आविर्भाव हुआ, वह इस समय का गुंडिचा मंदिर है। उस समय यह मंदिर नहीं था।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से होगी और इसका समापन 16 जुलाई को होगा. जगन्नाथ, जिसका अर्थ होता है, जग का स्वामी. हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को श्रीहरि विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का ही एक रूप माना गया है.
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व और इतिहास
भगवान जगन्नाथ की यात्रा सदियों से चली आ रही है. ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 12वीं शताब्दी में हुई थी. एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा और बलराम जी को रथ पर बिठाकर रथ यात्रा निकाली थी. तभी से यह परंपरा शुरू हुई.