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गंगा सप्तमी के मौके पर श्रद्धालु लगा रहे आस्था की डुबकी

Varanasi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा किनारे के घाट श्रद्धालुओं से भरे दिख रहे हैं, लोग गंगा सप्तमी के मौके पर बड़ी संख्या में पवित्र डुबकी लगाने और पूजा-अर्चना करने के लिए इकट्ठा हुए हैं।

मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। ये दिन मोक्ष की प्राप्ति और पापों के नाश का प्रतीक माना जाता है। पुजारी प्रखर पांडेय ने बताया कि "गंगा की उत्पत्ति आज के दिन हुई है। गंगा मां हमारे पूर्वजों को जितने भी हैं सबको मोक्षदायिनी गंगा हैं, सबको तृप्त करती हैं, मोक्ष प्रदान करती हैं, सारे पापों को नाश करती हैं। पकसतनी मोक्षदायिनी गंगा है ये। राजा भगीरथ ने तपस्या कर के इनके पृथ्वी पर लाया था। अपने पुर्खों की राख बहाने के लिए। तो ये पतित-पावनी गंगा हैं। आज के दिन अवतरित हुई हैं इसलिए आज का दिन ही बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है।"))

जय कुमार पांडेय, घाट पुरोहित, काशी "गंगा सप्तमी का काशी में बहुत महत्व है, क्योंकि गंगा सप्तमी के दिन ही मां गंगा की उत्पत्ति हुई थी। और माना जाता है कि काशी में काशी, कांची मथुरा, पुरी, अवंतिका और वरवती ये सब तीर्थों में काशी का अपना बहुत ज्यादा महत्व है और यहां काशी में उत्तरवाहिनी गंगा बहती हैं और यहां माना जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा महा श्मशान है इसलिए इसको मोक्ष द्वार माना गया है काशी का।"

हिंदू धर्म में इस शुभ दिन पर श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने के अलावा विशेष प्रार्थना करते हैं और दान देते हैं। गंगोत्री सेवा समिति पुजारी अजय कुमार तिवारी ने बताया कि "गंगा सप्तमी का एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन गंगा स्नान करने से और जो ऋतु फल है वो दान करने ब्राहमण को आपको अमुख पुण्य की प्राप्त होती है। गंगा सप्तमी का एक विशेष महत्व रखता है कि आज वैशाख मास सप्तमी गंगा स्नान करने से आपके अनेकों अनेक जन्म के पाप निष्ट होते हैं और जो भी आपको मन में मनोकामना हो वो पूर्ण होती है।"

श्रद्धालुओं का मानना है कि गंगा नदी में स्‍नान करने, पूजा करने और ध्यान लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और मन की शांति मिलती है। साथ ही इस दिन दान करने से भी बहुत पुण्य मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। गंगा सप्तमी के मौके पर वाराणसी के आस-पास के इलाके के लोग भी बड़ी संख्या में गंगा घाटों पर जुटे हैं।