नैनीताल, 15 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी)-2025 की संवैधानिक वैधता और विशेष प्रावधानों को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है ।
सॉलिसिटर तुषार मेहता मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
यूसीसी के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में आधा दर्जन से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं।
भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने यूसीसी में सहवासी संबंध (लिव-इन रिलेशनशिप) से संबंधित प्रावधानों को यह तर्क देते हुए चुनौती दी है कि यह मुस्लिम और पारसी जैसे समुदायों के वैवाहिक रीति-रिवाजों की अनदेखी करता है ।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जहां विवाह के लिए न्यूनतम आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है, वहीं यूसीसी के तहत ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के लिए न्यूनतम आयु दोनों पक्षों के लिए 18 वर्ष रखी गयी है।
देहरादून निवासी अलमासुद्दीन सिद्दीकी ने भी यूसीसी को इसी आधार पर चुनौती दी है ।
अन्य याचिकाओं में यूसीसी के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है जिसके तहत एक व्यक्ति रजिस्ट्रार को एक साधारण लिखित अनुरोध प्रस्तुत करके ‘लिव-इन’ संबंध समाप्त कर सकता है जिसके बाद संबंध 15 दिनों के भीतर समाप्त हो सकता है जबकि औपचारिक विवाह में तलाक के लिए पूरी न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता होती है जिसमें अक्सर वर्षों लग जाते हैं और इसमें भरण-पोषण का दायित्व भी शामिल होता है ।
याचिका में कहा गया है कि ऐसा प्रावधान होने के कारण लोग शादी की बजाय ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ को ज़्यादा पसंद कर सकते हैं क्योंकि विवाद होने पर पार्टनर से अलग होना आसान होता है ।
भाषा सं दीप्ति राजकुमार
राजकुमार