(अदिति खन्ना)
लंदन, 15 अक्टूबर (भाषा) ब्रिटेन सरकार ने बुधवार को रूस की तेल कंपनियों और भारतीय पेट्रोलियम कंपनी नायरा एनर्जी लि. पर 90 नए प्रतिबंधों की घोषणा की।
ब्रिटेन सरकार ने नायरा एनर्जी लिमिटेड के बारे में कहा कि उसने 2024 में अरबों डॉलर मूल्य का रूसी कच्चा तेल आयात किया था।
विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कहा कि ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय के साथ समन्वित कार्रवाई रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध के लिए वित्तपोषण के स्रोतों पर हमला करेगी। इसका लक्ष्य रूस तक पहुंचने वाले तेल राजस्व को रोकना है।
विभाग ने दावा किया कि इस कदम से रूसी तेल को ‘बाजार से हटाने’ और यूक्रेन के साथ संघर्ष में पुतिन के ‘युद्ध कोष’ में आने वाले ऊर्जा राजस्व को रोकने में मदद मिलेगी।
एफसीडीओ ने कहा, ‘‘ रूसी कंपनियों और उनके वैश्विक समर्थकों को निशाना बनाने वाली आज की कार्रवाई पुतिन के राजस्व स्रोतों को रोकने के सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।’’
इसने कहा, ‘‘चीन में चार तेल टर्मिनल, अलग नाम से रूसी तेल परिवहन करने वाले छद्म बेड़े में शामिल 44 टैंकर, और नायरा एनर्जी लि. सभी प्रतिबंधों के इस नए कदम से प्रभावित हुए हैं।’’ नायरा एनर्जी ने अकेले 2024 में पांच अरब डॉलर से अधिक मूल्य के 10 करोड़ बैरल रूसी कच्चे तेल का आयात किया था।
इससे पहले, नायरा एनर्जी पर यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिबंध लगे थे, जिसकी उसने कड़ी निंदा की थी।
कंपनी ने उस समय मीडिया को जारी बयान में कहा था, ‘‘नायरा एनर्जी भारत के कानूनों और नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए कार्य करती है। एक भारतीय कंपनी के रूप में, हम देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।’’
ब्रिटेन के नए प्रतिबंध में सीधे तौर पर रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल को निशाना बनाया गया है। ये दुनिया की दो सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनियों में से एक हैं। ये दोनों मिलकर प्रतिदिन 31 लाख बैरल तेल का निर्यात करती हैं। अकेले रोसनेफ्ट की वैश्विक तेल उत्पादन के छह प्रतिशत और रूस के कुल तेल उत्पादन के लगभग आधी हिस्सेदारी है।
ब्रिटेन की विदेश मंत्री यवेट कूपर ने संसद में प्रतिबंधों को पेश करते हुए कहा, ‘‘यूक्रेन के लिए इस महत्वपूर्ण क्षण में, यूरोप आगे आ रहा है। ब्रिटेन और हमारे सहयोगी मिलकर पुतिन पर दबाव बढ़ा रहे हैं। उनके तेल, गैस और गुप्त बेड़े पर हमला कर रहे हैं। और हम तब तक नरमी नहीं दिखाएंगे जब तक वह अपनी असफल विजय यात्रा को छोड़कर शांति के प्रति गंभीर नहीं हो जाते।’’
भाषा रमण अजय
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