नैनीताल, 15 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क के निदेशक को सफारी के लिए जिप्सियों के पंजीकरण की जारी प्रक्रिया को 27 नवंबर से पहले अंतिम रूप नहीं देने तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के मौके उपलब्ध कराने के उददेश्य से एक नयी नीति बनाने के निर्देश दिए।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने स्थानीय निवासियों की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कॉर्बेट पार्क के निदेशक को ये निर्देश दिए।
याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कॉर्बेट के निदेशक को ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के मौके प्रदान करने के उददेश्य से इस संबंध में एक नयी नीति लागू करने को कहा।
अदालत ने निदेशक को यह भी निर्देश दिया कि जिप्सियों (सफारी वाहनों) के पंजीकरण के लिए जारी प्रक्रिया को अगली सुनवाई तक अंतिम रूप नहीं दिया जाए । न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 27 नवंबर तय की है।
चक्षु कारगेती, सावित्री अग्रवाल तथा अन्य लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि कॉर्बेट पार्क में जिप्सी पंजीकरण के लिए लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने हेतु वर्तमान दिशानिर्देशों के तहत जरूरी शर्तों को पूरा करने वाले नए या पुराने सभी वैध परमिटधारियों को लॉटरी में भाग लेने का अधिकार होना चाहिए ।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि लेकिन जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क के अधिकारी एक विशेष श्रेणी की जिप्सी के मालिकों का पंजीकरण कर रहे हैं और उन वाहनों को भाग लेने की अनुमति नहीं दे रहे हैं जिन्हें दो साल पहले पंजीकृत किया गया था जबकि उन्होंने पिछले साल आरटीओ से वैध परमिट प्राप्त कर लिया हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि पार्क की यह कार्रवाई अदालत के पिछले आदेशों का उल्लंघन है ।
भाषा सं दीप्ति राजकुमार
राजकुमार