नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि वे 31 दिसंबर, 2025 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सभी प्रमुख प्रदूषणकारी उद्योगों में वास्तविक समय उत्सर्जन निगरानी प्रणाली और कैमरों को स्थापित करें।
इस कदम का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर में लगातार खराब वायु गुणवत्ता के बीच उद्योगों में निगरानी और स्व-नियमन को मजबूत करना है।
सीपीसीबी ने कहा कि एनसीआर में 2,361 खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा और धातु प्रसंस्करण इकाइयों में से 2,010 ने अभी तक अपने ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) को सीपीसीबी सर्वर से नहीं जोड़ा है।
नौ अक्टूबर को जारी नये निर्देशों में, सीपीसीबी के सदस्य सचिव भरत कुमार शर्मा ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को तीनों क्षेत्रों में सभी लाल श्रेणी की इकाइयों में ओसीईएमएस और ‘पैन-टिल्ट-जूम’ (पीटीजेड) कैमरे लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया।
सीपीसीबी ने कहा कि ये प्रणालियां उत्सर्जन, गैसों और औद्योगिक परिचालनों की वास्तविक समय पर निगरानी करने में सक्षम होंगी।
निर्देशों के अनुसार, खाद्य, कपड़ा और धातु इकाइयों में बॉयलर, भट्टियों और थर्मिक द्रव हीटर में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) की निगरानी के लिए ओसीईएमएस स्थापित किया जायेगा।
राज्य प्रदूषण बोर्ड को 15 दिनों के भीतर सीपीसीबी को ‘‘कार्रवाई रिपोर्ट’’ प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
सीपीसीबी ने कहा कि ये निर्देश 2018 और 2019 के पूर्व आदेशों का पालन करते हैं, जिनके तहत एनसीआर के सभी मध्यम और बड़े लाल श्रेणी में शामिल उद्योगों को परिचालन शुरू करने से पहले ओसीईएमएस स्थापित करना अनिवार्य था।
एजेंसी ने यह भी उल्लेख किया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल) को ओसीईएमएस प्रमाणन और परीक्षण के लिए राष्ट्रीय सत्यापन एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
भाषा देवेंद्र नरेश
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