मुंबई, 15 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता जयंत पाटिल और कांग्रेस के बालासाहेब थोराट ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में मतदाता सूचियां ‘‘अत्यधिक दोषपूर्ण’’ हैं और राज्य में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में इनका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
दोनों नेता विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल के चुनाव अधिकारियों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर चिंता जताने के लिए विपक्षी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को लगातार दूसरे दिन राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) दिनेश वाघमारे और मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) एस चोकलिंगम से मुलाकात की।
प्रेस वार्ता में शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे भी मौजूद थे।
स्थानीय निकाय चुनाव आगामी दो माह या अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है।
पाटिल ने कहा कि निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) और राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई मतदाता सूची में ‘‘अधूरे और भ्रामक पते’’ उचित प्रक्रिया के गंभीर उल्लंघन का संकेत देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मतदाताओं की सूचियां अत्यधिक दोषपूर्ण हैं। कई मामलों में दिए गए पते या तो गलत थे या मतदाता अब वहां नहीं रहते थे। हमने सीईओ और एसईसी को विशिष्ट उदाहरण दिखाए।’’
उन्होंने उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि ठाणे जिले के मुरबाड विधानसभा क्षेत्र में बूथ नंबर आठ में ‘‘400 मतदाताओं के पते के स्थान पर ‘डैश’ लगा दिया गया।’’
अमरावती के बडनेरा क्षेत्र में बूथ संख्या 218 पर 450 मतदाताओं के घर के पते से पहले शून्य लिखा हुआ था। पाटिल ने दावा किया कि कैंपटी विधानसभा क्षेत्र में 867 मतदाता पहचान पत्र बिना किसी आवासीय पते के जारी किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक सुषमा गुप्ता हैं जिनका नाम नालासोपारा में छह अलग-अलग ईपीआईसी नंबरों के तहत सामने आया। 12 अगस्त को मीडिया में मामला उजागर होने के बाद उसी दिन शाम छह बजे तक सभी छह प्रविष्टियां हटा दी गईं। इसे हटाने का आदेश किसने दिया? शिकायत किसने दर्ज की? किस अधिकारी ने भौतिक सत्यापन किया और निष्कर्ष निकाला कि सभी तस्वीरें एक ही महिला की थीं? प्रशासन ने कोई जवाब नहीं दिया है।’’
राकांपा (एसपी) नेता ने दावा किया कि एक बाहरी एजेंसी चुनावी डेटाबेस का संचालन कर रही है।
उन्होंने पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को रोके जाने पर भी सवाल उठाया।
पाटिल ने कहा, ‘‘आम तौर पर हर घंटे कितने पुरुष और महिला मतदाताओं ने वोट डाला, इसका डेटा प्रकाशित किया जाता है। लेकिन विधानसभा चुनावों के दौरान इस प्रणाली को नजरअंदाज कर दिया गया। शाम पांच बजे के बाद कोई सटीक मतदान आंकड़ा जारी नहीं किया गया। अंतिम आंकड़ा केवल दो दिन बाद सार्वजनिक किया गया। यह पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है।’’
पाटिल ने कहा, ‘‘हमने मांग की कि फर्जी नामों को हटाया जाए और आपत्ति की समय सीमा को तीन या चार दिन बढ़ाने के बजाय सूची में सुधार किया जाए।’’
कांग्रेस नेता थोराट ने यह भी कहा कि विपक्ष ने विधानसभा चुनाव से पहले अनियमितताओं को उजागर किया था, लेकिन कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि कॉलेज के छात्रावासों को भी आवासीय पते के रूप में स्वीकार कर लिया गया और छात्रों को ईपीआईसी कार्ड जारी किए गए। एक शिकायत दर्ज की गई थी, लेकिन उस पर कभी कार्रवाई नहीं की गई।’’
मंगलवार को बैठकों के दौरान विपक्षी नेताओं ने स्थानीय निकाय चुनाव से पहले मतदाता सूची में विसंगतियों को दूर करने की भी मांग की थी।
नेताओं ने यह भी पूछा कि बिहार की तरह महाराष्ट्र में (मतदाता सूचियों का) विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) क्यों नहीं किया जा रहा है।
विपक्षी नेताओं ने मांग की कि स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपीएटी (वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) प्रणाली की अनुमति दी जाए।
उन्होंने यह भी मांग की कि यदि राज्य चुनाव आयुक्त वीवीपीएटी की अनुमति नहीं देते हैं तो बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों के लिए मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाए।
भाषा
गोला पवनेश
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