नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) राउरकेला स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के शोधकर्ताओं ने औषधीय पौधों के अर्क का उपयोग करके शक्तिशाली जीवाणुरोधी एजेंट तैयार किए हैं जो पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और प्रभावी हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यह शोध रोगाणुरोधी प्रतिरोध की समस्या से निपटने की दिशा में है। पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप ‘सुपरबग्स’ की संख्या में वृद्धि हुई है जो इन उपचारों के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के वैज्ञानिक इन ‘सुपरबग्स’ से लड़ने के वैकल्पिक तरीकों की तलाश कर रहे हैं। यह शोध प्रतिष्ठित पत्रिका ‘सरफेसेस एंड इंटरफेसेस’ में प्रकाशित हुआ है।
एनआईटी राउरकेला की एसोसिएट प्रोफेसर सुमन झा के अनुसार, अध्ययन किए गए पदार्थों का एक आशाजनक वर्ग जिंक ऑक्साइड नैनो कण है, ये इतने छोटे होते हैं कि मानव बाल की मोटाई जितने हिस्से में हजारों की संख्या में समा सकते हैं।
ये सूक्ष्म कण जीवाणु कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और उनके सामान्य कार्यों को बाधित करते हैं। विद्युत आवेशित जिंक आयन कोशिका झिल्ली को नुकसान पहुंचाते हैं क्योंकि ये प्रतिक्रियाशील अणु उत्पन्न करते हैं जो जीवाणुओं पर दबाव डालते हैं और उन्हें मार देते हैं, साथ ही वे कोशिका की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को अवरुद्ध करके भी ऐसा करते हैं। इन नैनो कणों के पारंपरिक संश्लेषण में कठोर रसायनों का उपयोग शामिल होता है जो मनुष्यों या पर्यावरण के लिए विषाक्त हो सकते हैं।
झा ने कहा, ‘‘इस समस्या के समाधान के लिए, हमने जिंक ऑक्साइड नैनो कणों के उत्पादन के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोण अपनाया है। कठोर रसायनों का उपयोग करने के बजाय, शोधकर्ताओं ने गेंदा, आम और नीलगिरी के पत्तों और पंखुड़ियों के अर्क का उपयोग जिंक लवणों को जिंक ऑक्साइड नैनोक्रिस्टल में परिवर्तित करने के लिए किया, जिसमें अर्क से अवशोषित फाइटोकंपाउंड शामिल थे।’’
नैनो कणों के उत्पादन में सहायता के अलावा, ये अर्क तीन अन्य उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं - एक हर्बल कवच या फाइटो-कोरोना के निर्माण के माध्यम से नैनोकणों को स्थिर करना और जिंक आयनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना और स्थिर जीवाणुरोधी क्रिया सुनिश्चित करना।
एक स्थायी और प्रभावी रोगाणुरोधी मंच के रूप में फाइटो-कोरोना के साथ हरित-संश्लेषित जिंक ऑक्साइड नैनो कण रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए एक आशाजनक समाधान प्रदान करते हैं। यह कार्य हरित नैनो सामग्री की एक नई पीढ़ी विकसित करने की दिशा में एक कदम है जो स्थायी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों का समर्थन कर सकता है।
झा ने कहा, ‘‘हमारा दृष्टिकोण व्यापक, किफायती और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित रोगाणुरोधी सामग्री विकसित करना है जिसे स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और खाद्य संरक्षण अनुप्रयोगों में एकीकृत किया जा सके। भारत की समृद्ध जैव विविधता और स्वदेशी पादप संसाधनों का उपयोग करके, हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भर नवाचारों का सृजन करना है जो वैश्विक स्वास्थ्य और स्थिरता के लक्ष्यों को हासिल करने में सार्थक योगदान दें।’’
भाषा
संतोष माधव
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