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सरकार से अर्थव्यवस्था नहीं संभल पाने की सजा वेतनभोगी वर्ग को दी जा रही है: विपक्ष

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) विपक्ष ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के नियमों में बदलाव को लेकर बुधवार को नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि सरकार द्वारा ‘‘अर्थव्यवस्था को ठीक से न संभाल पाने’’ की सज़ा वेतनभोगियों को दी जा रही है।

विपक्ष ने श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया से इन 'कठोर' प्रावधानों को रद्द करने का आग्रह किया।

विपक्ष ने ईपीएफ के समयपूर्व अंतिम निपटान की अवधि को मौजूदा दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने और अंतिम पेंशन निकासी की अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 36 महीने करने के विशिष्ट बदलाव को लेकर सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने सदस्यों के खाते में योगदान के 25 प्रतिशत को न्यूनतम शेष राशि के रूप में निर्धारित करने के प्रावधान की भी आलोचना की, जिसे सदस्य को हर समय बनाए रखना होता है।

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार के ईपीएफओ से संबंधित नए नियम 'क्रूरता' से कम नहीं हैं।

उनका कहना है, ‘‘पेंशनभोगियों और नौकरी गंवाने वालों को अपनी बचत की सज़ा मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, यही समय है कि आप हस्तक्षेप करें और मनसुख मांडविया को लोगों की ज़िंदगी बर्बाद करने से रोकें।’’

उन्होंने दावा किया कि श्रम मंत्री मांडविया के फैसले उन पेंशनभोगियों का जीवन बर्बाद कर देंगे जो जीविका के लिए ईपीएफ पर निर्भर हैं।

टैगोर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी, कृपया तुरंत हस्तक्षेप करें। नौकरशाही की क्रूरता को भारत के मजदूर वर्ग की गरिमा को नष्ट न करने दें।’’

तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए नए ईपीएफओ नियम ‘‘चौंकाने वाले और हास्यास्पद’’ हैं।

उन्होंने दावा किया, ‘‘यह वेतनभोगियों के पैसों की खुली चोरी है। पहले, नौकरी जाने पर आप दो महीने की बेरोजगारी के बाद अपना ईपीएफ बैलेंस निकाल सकते थे। अब उस न्यूनतम अवधि को आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाकर एक साल कर दिया गया है। मूल रूप से, अपना पैसा निकालने के लिए, अब आपको केवल दो महीने की बजाय पूरे एक साल तक बेरोजगार रहना होगा।’’

गोखले ने कहा, ‘‘आप अपने ईपीएफ के पेंशन हिस्से को केवल 36 महीने की बेरोजगारी के बाद ही निकाल सकते हैं। पहले, आप इसे दो महीने बाद निकाल सकते थे। सबसे बुरी बात यह है कि आपके ईपीएफ बैलेंस का 25 प्रतिशत निकाला नहीं जा सकता।’’

तृणमूल सांसद ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को ठीक से न संभाल पाने की सज़ा वेतनभोगियों को मिल रही है।’’

उन्होंने मांडविया से इन नए ‘‘कठोर’’ नियमों को तुरंत रद्द करने का आग्रह किया।

कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी इन नए नियमों को वापस लेने की मांग की।

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 'सरलीकरण' के नाम पर पेश किए गए नए ईपीएफओ नियम वेतनभोगी मध्यम वर्ग की गाढ़ी कमाई की लूट से कम नहीं हैं। अंशदाता की 25 प्रतिशत राशि नहीं निकाली जा सकती और सेवानिवृत्ति तक ‘लॉक’ रहेगी। समय से पहले अंतिम ईपीएफ पेंशन निकासी की अवधि को पहले के दो महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि इस बदलावों को वापस लिया जाना चाहिए।

सेवानिवृत्ति कोष निकाय ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी मंडल (सीबीटी) की सोमवार को हुई बैठक में ईपीएफओ से संबंधित निर्णय लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने की।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि राशि की निकासी की अवधि बढ़ाने का उद्देश्य औपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करना है।

भाषा हक हक पवनेश

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