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प्रियंक खरगे ने आपत्तिजनक फोन कॉल का वीडियो साझा किया, युवाओं को चरमपंथ से बचाने का संकल्प लिया

बेंगलुरु, 15 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खरगे ने बुधवार को एक फोन कॉल का वीडियो साझा किया जिसमें एक अज्ञात व्यक्ति को खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा होने का दावा करते और उन्हें हिंदी में ‘‘अपशब्द’’ कहते सुना जा सकता है।

इससे एक दिन पहले खरगे ने दावा किया था कि सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने पर उन्हें और उनके परिवार को निशाना बनाकर धमकी भरे फोन आ रहे हैं, जिसके बाद यह वीडियो सामने आया है।

वीडियो क्लिप में खरगे को फोन करने वाले व्यक्ति से यह पूछते हुए सुना जा सकता है कि क्या आरएसएस और उसकी शाखा ने उन्हें ऐसी अभद्र भाषा सिखाई है और क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष ने इसका समर्थन किया है।

बातचीत का वीडियो अपलोड करते हुए खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैंने कहा था कि आरएसएस युवाओं और बच्चों के दिमाग में गंदगी भरने का काम कर रहा है, यहां एक छोटा सा उदाहरण है कि उन्होंने जो गंदगी भरी है, वह कैसी दिखती है। यह उन धमकियों और गाली-गलौज भरे फोन कॉल का एक नमूना मात्र है जो मुझे पिछले कुछ दिनों से लगातार मिल रही हैं।’’

उन्होंने पूछा, ‘‘क्या माताओं और बहनों को गालियाँ देकर और उन्हें बेहद घिनौने तरीके से अपमानित करना शाखाओं की संस्कृति है? क्या बीवाई विजयेंद्र, आर अशोक, सी टी रवि, सुनील कुमार, प्रताप सिम्हा, चलावदी नारायणस्वामी जैसे भाजपा नेता, मोदी और मोहन भागवत की माताओं के साथ इस तरह के दुर्व्यवहार का समर्थन करते हैं?’’

खरगे ने कहा, ‘‘भाजपा नेताओं के बच्चे अपना भविष्य संवार रहे हैं, गरीबों के बच्चों का इस्तेमाल उन्हें इस तरह से गाली देने, डराने-धमकाने और प्रताड़ित करने के लिए कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं शिकायत दर्ज कराऊंगा तो उस व्यक्ति की जान को तो नुकसान होगा, लेकिन उस व्यक्ति को ऐसी मानसिक स्थिति में धकेलने वालों को कोई नुकसान नहीं होगा।’’

खरगे ने कहा, ‘‘हमारी लड़ाई व्यक्तियों के विरुद्ध नहीं, बल्कि आरएसएस द्वारा फैलाई गई इस गंदी मानसिकता के विरुद्ध है, उन दुष्ट शक्तियों के विरुद्ध है जो मासूमों का ‘ब्रेनवॉश’ कर रही हैं और उनके विचारों को दूषित कर रही हैं।’’

मंत्री ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों को विभाजनकारी विचारधाराओं से निकालकर (गौतम) बुद्ध, गुरु बसव और (भीमराव) आंबेडकर के बहुमूल्य विचारों से परिचित कराना होगा।

मंत्री ने कहा, ‘‘मैं मासूम बच्चों और युवाओं को ऐसी दूषित व्यवस्था का शिकार होने से बचाने के लिए लड़ूंगा और कड़े कदम उठाऊंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर उन्हें लगता है कि मैं इन धमकियों और अपमान से परेशान हो जाऊंगा, तो यह केवल उनका भ्रम है। मेरी राजनीति केवल सत्ता-केंद्रित नहीं, बल्कि वैचारिक, जन-केंद्रित है जो मासूम युवाओं को इस दुष्चक्र से बाहर निकालेगी।

कर्नाटक में इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी/बीटी और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से राज्य भर के सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक परिसरों में आरएसएस की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था। उन्होंने दावा किया था कि ऐसी गतिविधियां भारत की एकता और संविधान की भावना के विपरीत हैं।

मुख्यमंत्री को चार अक्टूबर को लिखे एक पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक खरगे ने आरोप लगाया कि आरएसएस सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर भी अपनी शाखाएं चला रहा है, जहां ‘‘नारे लगाए जाते हैं और बच्चों एवं युवाओं के मन में नकारात्मक विचार भरे जाते हैं।’’

इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में तमिलनाडु की कार्रवाई की जांच करने का निर्देश दिया है।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश