मलयालम फिल्म 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन' से प्रभावित होकर केरल के कई स्कूलों ने क्लासों में बैठने की व्यवस्था बदल दी है। मकसद है, बैकबेंचर्स का स्टिग्मा पूरी तरह खत्म करना। तमिलनाडु सरकार ने भी शनिवार को राज्य के सभी मिडिल स्कूलों को बैठने की व्यवस्था बदलने के निर्देश दिए हैं। छात्रों को पारंपरिक कतारों में बैठाने के बजाय यू-आकार की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है।
वीओ2: निर्देशों के मुताबिक बैठने की नई व्यवस्था का मकसद देखने में, पहुंच में और निगरानी करने में सुधार लाना है। केरल के स्कूलों में पहले ही ये व्यवस्था शुरू हो चुकी है। जल्द ही तमिलनाडु में भी इसे लागू करने की योजना है। पंजाब के एक स्कूल में भी इसे लागू किया गया है। ये विचार फिल्म 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन' के एक दृश्य से प्रेरित है। इसमें सातवीं क्लास का एक छात्र बैकबेंचर होने पर अपमान सहता है और फिर बैठने की नई व्यवस्था का प्रस्ताव रखता है।
केरल के परिवहन मंत्री के. बी. गणेश कुमार का परिवार कोल्लम में रामविलासम वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल चलाता है। उन्होंने वहां बैठने की नई व्यवस्था शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने स्थानार्थी श्रीकुट्टन के रिलीज होने से एक साल पहले ही स्कूल के शिक्षकों के साथ इस विचार को लागू करने पर चर्चा शुरू कर दी थी। फिल्म का प्रिव्यू देखकर उन्हें ये विचार आया।
देश भर के स्कूलों में छात्रों के पारंपरिक रूप से कतारों में बैठने की व्यवस्था है। नया मॉडल शिक्षकों के साथ बेहतर संवाद और छात्रों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। इस अवधारणा का छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने स्वागत किया है।