पूरे झारखंड में गुरुवार को आदिवासी त्योहार सरहुल मनाया गया। सरहुल आदिवासियों के नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इसे राज्य की ओरांव, मुंडा और हो जनजातियां मनाती हैं। लोग पेड़ों और प्रकृति के दूसरे रूपों की पूजा के साथ त्योहार की शुरुआत करते हैं। खास प्रसाद बनाया जाता है, जिसे बाद में दूसरे पारंपरिक जनजातीय पकवानों के साथ लोगों को बांटा जाता है।
मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सरहुल के साथ ईद और नवरात्र मना रहे लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने भी त्योहार में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सिर्फ झारखंड में ही इतने बड़े पैमाने पर प्रकृति की पूजा की जाती है। इस मौके पर रांची के कई हिस्सों में जुलूस निकाले गए, जिनमें भारी भीड़ ने हिस्सा लिया। जुलूस सीरम टोली में खत्म हुआ। जुलूस में कई झांकियां शामिल थीं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भी दिखाई गई। त्योहार के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त किए गए।
सरहुल हर साल हिंदू कैलेंडर के पहले महीने और 'चैत्र' के तीसरे दिन मनाया जाता है। त्योहार खत्म होने के बाद आदिवासी खेती की नई गतिविधियां शुरू करते हैं।