Tulsi Vivah: उत्तर प्रदेश में संगमनगरी प्रयागराज में श्रद्धालु पूरे विधि विधान के साथ सनातन धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक गोपाष्टमी मना रहे हैं। ये त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माया जाता है।
गोपाष्टमी भगवान कृष्ण को समर्पित है और माना जाता है कि इसी दिन से भगवान शालिग्राम के विवाह कार्यक्रम की शुरुआत होती है। महिलाएं इस दिन पवित्र स्नान के बाद भगवान शालिग्राम का तिलक और जनेऊ संस्कार करती हैं। इसका समापन एकादशी पर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के दिव्य विवाह के साथ होता है।
शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करने वाला एक पवित्र काला पत्थर है, जबकि तुलसी एक पवित्र पौधा है जिसे देवी के रूप में पूजा जाता है।
गोपाष्टमी के मौके पर कई जगहों पर गाय और बैल की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण और बलराम का पालन-पोषण करने वाले नंद बाबा ने इसी दिन दोनों को पहली बार गाय चराने के लिए भेजा था।
यह पर्व गायों और बछड़ों के प्रति आभार जताने और उनकी सेवा करने का उत्सव भी है श्रद्धालुओ का कहना है कि “कार्तिक स्नान सब लोग करने आए हैं। जमुना मइया का स्नान करके सब लोग पूजा-पाठ कर रहे हैं और आज गोपाष्टमी है। आज के दिन भगवान शालिग्राम का तिलक हो रहा है, सब लोग उनका तिलक कर रहे हैं और उनकी शादी का सब लोग फंक्शन मना रहे हैं। और उसके बाद सब लोग चकरी में जाते हैं, चना पीसकर, सब सखियां मंगल गीत गा रही है और सब कार्यक्रम कर रही हैं। माता तुलसी का भगवान शालिग्राम के साथ विवाह संपन्न होने वाला है।”
“आज गोपाष्टमी है, आज के दिन भगवान जी को दही, दूध, मिश्री दान दिया जाता है। आज के दिन भगवान का जनेऊ है, सब लोग जनेऊ चढ़ाते हैं, उनकी सगाई हो जाती है, उनका तिलक हो जाता है। यही हम लोग करते हैं।”