इजराइल ने शुक्रवार को ईरान की राजधानी तेहरान पर जोरदार हमला किया। कथित तौर पर देश के परमाणु कार्यक्रम प्रतिष्ठान को निशाना बनाया गया। हमले में ईरान के अर्धसैनिक क्रांतिकारी गार्ड, जनरल होसैन सलामी और देश के सेना प्रमुख मोहम्मद बाघेरी सहित कम से कम दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई।
इस सैनिक कार्रवाई से मध्य पूर्व के दो कट्टर विरोधियों के बीच भारी जंग की आशंका बढ़ गई है। 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' नाम से इजराइली हमला ऐसे समय में हुआ है, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है। इजराइल इसे अपने लिए खतरा मानता है। जवाब में, ईरान ने कथित तौर पर इजराइल पर ड्रोन से हमला किया।
इस बीच ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अमेरिका इन हमलों में 'शामिल नहीं' था और उसकी मुख्य चिंता इलाके में अमेरिकी सेना की सुरक्षा थी। भारत के दोनों देशों के साथ 'घनिष्ठ और दोस्ताना' रिश्ते हैं। ईरान पर इजरायल के हमले से वैश्विक व्यापार और अंतरराष्ट्रीय संबंध बदल सकते हैं। साथ ही पश्चिम एशिया में भारी युद्ध का खतरा बढ़ सकता है।
इजरायल ने चेतावनी दी थी कि वो तेहरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा। हालांकि ये साफ नहीं है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की दिशा में किस हद तक आगे बढ़ चुका है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 20 साल में पहली बार ईरान की निंदा की, क्योंकि ईरान ने बोर्ड के निरीक्षकों के साथ काम करने से इनकार कर दिया था। ईरान ने जल्द ही तीसरी यूरेनियम संवर्धन पर काम शुरू करने की योजना का ऐलान किया था।
मध्य पूर्व में नए सैन्य संघर्ष के बाद तेल की कीमतों में उछाल आया है। युद्ध गंभीर होने की आशंका से बाजार में गिरावट आई है। इस बीच, भारत ने इजरायल और ईरान से किसी भी तरह की तनातनी से बचने की अपील की है। जानकारों का मानना है कि अगर ईरान जवाबी कार्रवाई जारी रखता है, खास कर लेबनान, सीरिया, इराक या यमन जैसे देशों में अपने सहयोगी समूहों के जरिये, तो इस क्षेत्र में लंबे समय तक संघर्ष चलेगा।