अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ये तीन अप्रैल 2025 से लागू होगा। ये नीति ट्रंप प्रशासन के 'अमेरिका फर्स्ट' रुख के मुताबिक सभी निर्यातक देशों पर लागू होती है। इस कदम से कई देश बुरी तरह प्रभावित होंगे। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पूर्ण निर्मित कार विनिर्माण क्षेत्र पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखेगा क्योंकि अमेरिकी बाजार में इसकी पहुंच काफी सीमित है।
जानकारों का कहना है कि अमेरिका में भारत का वाहन निर्यात न्यूनतम है और ये अमेरिका को होने वाले कुल यात्री कार निर्यात का महज 0.13 फीसदी है। हालांकि, ऑटो पार्ट्स के निर्यात में दिक्कत बढ़ सकती है क्योंकि भारत के कुल वैश्विक ऑटो पार्ट्स निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 29.1 फीसदी है। ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगाए गए टैरिफ को लेकर दुनिया भर से प्रतिक्रिया आ रही है। कनाडा ने अपने ऑटो सेक्टर की रक्षा करने की बात कही है।
वहीं पहले से ही घरेलू स्तर पर धीमी आर्थिक वृद्धि और चीन से बढ़ती होड़ से जूझ रहीं यूरोपीय वाहन निर्माता कंपनियों ने कारों पर अमेरिकी आयात कर की आलोचना करते हुए इसे भारी बोझ बताया है। उनके मुताबिक इससे उपभोक्ताओं और कंपनियों दोनों को नुकसान होगा। हालांकि, भारत के लिए, विश्लेषकों का मानना है कि ऑटो पार्ट्स क्षेत्र में देश का श्रम-लागत लाभ इन टैरिफ के असर को कम करने में मदद कर सकता है और समय के साथ बाजार हिस्सेदारी का विस्तार कर सकता है।