तुलसी गबार्ड को अमेरिका का डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलीजेंस चुन लिया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने तुलसी गबार्ड का समर्थन किया था जिसके बाद अब तुलसी अमेरिका की 18 अलग अलग इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में कॉर्डिनेटर का काम देखेंगी।सैन्य दिग्गज और हवाई से पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य तुलसी गबार्ड के नाम की पुष्टि बुधवार को सीनेट में 52-48 के बहुमत से हुई। गबार्ड नेशनल गार्ड्स में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और दो बार मिडिल ईस्ट में भी तैनात रह चुकी हैं।
तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के पूर्व कॉन्ट्रेक्टर एडवर्ड स्नोडेन की तारीफ करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। स्नोडेन अमेरिकी निगरानी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी लीक करने के बाद रूस भाग गया था। तुलसी से एक और विवाद तब जुड़ा जब तत्कालीन सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ गबार्ड ने 2017 में बैठक की थी। तुलसी को हाल ही में एक गृह युद्ध के बाद पद से हटा दिया गया था। इसमें उन पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था।
इसके अलावा यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को सही ठहराने पर भी तुलसी गबार्ड की आलोचना हुई थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में गबार्ड की नियुक्ति से खुफिया और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत-अमेरिका संबंध और मजबूत होने की उम्मीद है। अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। दोनों ने आतंकवाद और दोनों देशों के बीच उभरते खतरों पर खुफिया सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का पद 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर किए गए अल-कायदा के हमलों के बाद बनाया गया था ताकि भविष्य में फिर कभी इतने बड़े स्तर पर खुफिया नाकामी न मिले।
अमेरिका की डीएनआई बनेंगी तुलसी गबार्ड, 52-48 के फैसले से लगी मुहर
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