पूर्वी अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 622 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां लगातार मलबा हटाने और फंसे लोगों को बचाने के लिए अभियान चला रही हैं। भूकंप की तीव्रता इतनी तेज थी कि इसका असर पड़ोसी देशों पाकिस्तान और भारत के उत्तरी हिस्सों में भी महसूस किया गया। अफगानिस्तान के पक्तिका और खोस्त प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यहां कई गांव पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गए हैं।
मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान युद्धस्तर पर चल रहा है। तालिबान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है। राहत सामग्री, दवाइयां और अस्थायी आश्रयों की सबसे ज्यादा जरूरत बताई जा रही है। भूकंप प्रभावित इलाकों में संचार और परिवहन व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कई सड़कें टूट गई हैं और बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। मौसम खराब होने की वजह से भी राहत कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस, संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठन इस त्रासदी में मदद के लिए आगे आए हैं। हालांकि, पहाड़ी इलाकों और दुर्गम रास्तों की वजह से राहत सामग्री प्रभावित लोगों तक पहुंचाने में समय लग रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट और मानवीय चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में यह आपदा वहां के हालात को और भी गंभीर बना सकती है।