New Delhi: रूस के राष्ट्रपति वलादिमीर पुतिन ने गुरुवार को अमेरिका की सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भारत जैसे व्यापारिक साझेदारों को रूस से ऊर्जा खरीदने में कटौती के लिए दबाव डालना अमेरिका के लिए नुकसानदेह साबित होगा।
पुतिन ने यह बयान सॉची, रूस में अंतरराष्ट्रीय वलदाई फोरम में दिया, जिसमें 140 देशों के सुरक्षा और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ शामिल थे। उन्होंने कहा कि अगर रूस के व्यापारिक साझेदारों पर अधिक टैरिफ लगाए गए, तो वैश्विक ऊर्जा कीमतें बढ़ेंगी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें उच्च रखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है।
भारत की ऊर्जा नीति का समर्थन
पुतिन ने कहा कि भारत को किसी बाहरी दबाव के सामने झुकने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी ऐसे कदम नहीं उठाएंगे। अगर भारत रूस से ऊर्जा खरीदना बंद कर देता है, तो उसे लगभग 9 से 10 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
पुतिन ने भारत के साथ अपने भरोसेमंद संबंधों का भी जिक्र किया और मोदी को अपना दोस्त बताया। उन्होंने कहा, "मैं पीएम मोदी को जानता हूं; वे कभी भी ऐसे कदम नहीं उठाएंगे।"
भारत के व्यापार घाटे को कम करने के उपाय
पुतिन ने कहा कि रूस भारत से कृषि उत्पाद और दवाइयां खरीदकर व्यापार असंतुलन को कम करने के उपाय कर सकता है। उन्होंने कहा, "भारत से और अधिक कृषि उत्पाद खरीदे जा सकते हैं। दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के लिए भी कुछ कदम उठाए जा सकते हैं।"
अमेरिका की दोहरी नीति पर निशाना
पुतिन ने अमेरिका की दोहरी नीति की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका रूस से ऊर्जा पर दबाव डालता है, लेकिन यूरैनियम और अन्य संसाधनों के लिए रूस पर निर्भर रहता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के लिए रूस दूसरा सबसे बड़ा यूरेनियम सप्लायर है।
पुतिन ने अमेरिका की इस नीति को अर्थव्यवस्था की दृष्टि से बेकार और भारत के लिए राष्ट्रपति की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला बताया।