कांग्रेस के लोग और उनका इकोसिस्टम मन बहलाने का काम कर रहा है. 1984 उपचुनाव को याद कीजिए. उसके बाद इस देश में 10 लोकसभा के चुनाव हुए, लेकिन कांग्रेस 250 के आंकड़े को छू नहीं पाई है. इस बार किसी तरह 99 के चक्कर में फंस गई है. मुझे एक किस्सा याद आता है.
99 नंबर लेकर बालक घूम रहा था और सबके दिखा रहा था कि देखो कितने ज्यादा नंबर आए हैं. लोग जब 99 सुनते थे तो उसका हौसला बढ़ाते थे. फिर उनके अध्यापक आए तो पूछा कि किस बात की शाबाशी बांट रहे हो. ये तो 100 में से 99 नंबर नहीं लाया है. ये 543 में 99 लाया है. ये कौन समझाए कि तुमने तो फेल होने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है.