दिल्ली में डीडीए की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब डीडीए यानी दिल्ली विकास प्राधिकरण इस जमीन पर रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने जा रही है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद डीडीए के अधिकारियों ने मूर्ति स्थापित करने के लिए खुदाई का काम शुरू कर दिया है।
अदालत ने कहा कि झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई "राष्ट्रीय नायक" हैं और इतिहास को "सांप्रदायिक राजनीति" के लिए नहीं बांटा जा सकता। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को शाही ईदगाह प्रबंधन समिति की तरफ से दायर अपील की आलोचना की। अदालत ने अपील को राजनीति से प्रेरित बताया और मामले को सांप्रदायिक रंग देने के खिलाफ चेतावनी दी।
खंडपीठ, जो एकल-न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली समिति की अपील पर सुनवाई कर रही थी, ने इस आधार पर यहां सदर बाजार में शाही ईदगाह पार्क के अंदर 'झांसी की महारानी' की प्रतिमा की स्थापना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। ऐसा प्रतीत हुआ कि याचिका बिना किसी कार्रवाई के कारण के थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 13, 000 वर्ग मीटर के पार्क को दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए की संपत्ति घोषित करते हुए वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया है। इस मामले में वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि ये जमीन उनकी है, लेकिन कोर्ट ने डीडीए के पक्ष में फैसला सुनाया है। इससे रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है।