वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की गई, जिस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। राज्यसभा में रिपोर्ट पैनल की सदस्य और बीजेपी सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी ने पेश की, जबकि लोकसभा में इसे जेपीसी की अध्यक्षता करने वाले बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने पेश किया। विधेयक 1995 के वक्फ बिल में संशोधन करने के लिए पिछले साल 13 फरवरी को संसद में रिपोर्ट पेश करने के बाद जेपीसी गठित की गई थी।
नए बिल में विवादों को निपटाने के लिए जिला कलेक्टर को ज्यादा अधिकार देने का प्रावधान है। संशोधन विधेयक में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के लिए वक्फ बोर्डों को फिर से बनाने का भी प्रावधान है। इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने 15-11 के बहुमत से मसौदा कानून पर रिपोर्ट को मंजूरी दी थी।
संशोधन विधेयक के आलोचकों का कहना है कि नया विधेयक सरकार को वक्फ प्रबंधन में ज्यादा अधिकार दे देगा और इससे सत्ता केंद्रीकृत हो जाएगी। संशोधन विधेयक के विरोधी वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को भी घुसपैठ के तौर पर देख रहे हैं।
विपक्ष ने दावा किया है कि उन्होंने जिन मुद्दों पर असहमति जताई थी, उन्हें पूरी तरह से नहीं हटाया गया है। लोकसभा में रिपोर्ट पेश करने के दौरान, केंद्रीय गृह मंत्री, अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के असहमति नोटों को बिना संशोधन के शामिल किए जाने पर बीजेपी को कोई आपत्ति नहीं है। स्पीकर ओम बिरला ने संवैधानिक परंपरा के हिसाब से आगे की कार्यवाही की बात कही
जेपीसी की रिपोर्ट 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई थी। विपक्ष के हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा को 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। 10 मार्च से ही बजट सत्र के दूसरे चरण का आगाज होना है।