Gopashtami: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है, यह पर्व गायों की पूजा और गोसेवा को समर्पित है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर होगा। इस प्रकार गोपाष्टमी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
सनातन परंपरा में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उसके शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना गया है। इस साल गोपाष्टमी का पर्व आज मनाया जा रहा है, इस दिन गाय और बछड़ों की विधिवत पूजा की जाती है और गोसेवा का विशेष महत्व होता है।
धार्मिक महत्व-
गोपाष्टमी केवल एक पूजा नहीं बल्कि गौसेवा, करुणा और पर्यावरण संतुलन का संदेश देती है। हिन्दू धर्म में कहा गया है, “गावो विश्वस्य मातरः।” अर्थात गाय सम्पूर्ण सृष्टि की माता है।इस दिन गोशालाओं में गायों को स्नान करवाया जाता है, उन पर हल्दी-कुमकुम लगाया जाता है, पुष्पमालाएं पहनाई जाती हैं और उन्हें गुड़, चना, हरी घास और फल खिलाए जाते हैं।
पौराणिक कथा-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्था में गौचारण यानी गाय चराने का कार्य आरंभ किया, उसी दिन को गोपाष्टमी कहा गया। इस दिन श्रीकृष्ण और बलराम ने नंद बाबा से अनुमति लेकर पहली बार गायों को वन में चराने के लिए ले गए थे, गाय चराने की इस लीला ने गोपालक श्रीकृष्ण के जीवन का नया अध्याय खोला और तभी से यह पर्व “गोपाष्टमी” कहलाया।
इस दिन भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा करने से घर की हर मनोकामना पूरी होगी। इसके साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आएगी।