क्या बच्चे क्या बड़े, किसी भी त्योहार, कार्यक्रम या शादी समारोह में चकाचौंध से भरी रोशनी सभी का मन आसानी से लुभाते हैं. दिवाली, ईद या क्रिसमस हर मौकों पर लोग अपने घरों को इलेक्ट्रिक लाइट के जरिए सजाते हैं. आज तरह-तरह के लाइट्स बाजार में मिलने लगे हैं. अब तो ऐसे लाइट्स बाजार में आने लगे हैं जो एक साथ कई तरह की रोशनी बिखेरती हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि वो दौर कैसा रहा होगा या फिर लोगों के मन में किस तरह के भाव रहे होंगे जब उन्होंने पहली बार बल्ब की की रोशनी में त्योहार मनाया होगा.
महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन कई सालों तक बल्ब के आविष्कार में लगे रहे. बल्ब की खोज के लिए उन्हें कई बार नाकामी का सामना करना पड़ा. उन्हें इसके लिए हजार बार से भी अधिक बार नाकामी मिली, लेकिन वो अपने मकसद में डटे रहे और इस बल्ब को दुनिया के सामने लाने की जद्दोजहद में एडिसन ने हजार से भी अधिक खोज कर डाले. उन्होंने खोज के बाद 143 साल पहले 27 जनवरी 1880 को बिजली के बल्ब को पेटेंट करवाया था. इसके करीब 3 साल बाद 22 दिसंबर के दिन उनके बल्ब का इस्तेमाल पहली बार क्रिसमस ट्री के रूप में किया गया.