संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें क्लाइमेट को लेकर बहुत बुरे संकेत दिए गए है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पिछला दशक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहा है। इस रिपोर्टे में बढ़ती बारिश, अधिक गर्म दिन और ग्लेशियर के पिघलने और टूटने की बात कहीं गई है।
रिपोर्ट कहती है कि 2011-2020 का दशक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक रहा। इसका वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.10 ± 0.12 डिग्री सेल्सियस ऊपर था। वहीं, 2011-2020 के दशक में उत्तर पश्चिम भारत, पाकिस्तान, चीन और अरब प्रायद्वीप के दक्षिणी तट में अत्याधिक बारिश दर्ज की गई।
2011-2020 के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया, यूरोप, दक्षिणी अफ्रीका, मैक्सिको और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया सहित कई क्षेत्र अत्यधिक गर्म रहे। ये 1961-1990 के औसत से लगभग दोगुने थे। इस दशक के दौरान बाढ़ और सूखे जैसी मौसमी घटनाओं का वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक और मानवीय प्रभाव पड़ा।
दुनिया भर में ग्लेशियर का पिघलना और अंटार्कटिक महाद्वीपीय बर्फ की चादर से बर्फ के नुकसान में 75% की वृद्धि हुई है। 2001-2010 की तुलना में 2011-2020 समुद्र का स्तर बढ़ा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की उप महासचिव एलेना मानेनकोवा ने कहा, 'पिछला दशक जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे की याद दिलाता है। 2023 में वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 36.8 बिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचने के साथ, यह स्पष्ट है कि हमें इस चुनौती से निपटने के लिए और अधिक गंभीर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।'