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मुंबई में कबूतरखानों पर रोक से पक्षी प्रेमी खुश नहीं, मुख्यमंत्री ने बताई अस्थायी व्यवस्था

Maharashtra: पिछले हफ़्ते पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि कबूतरों के बड़े समूहों को खाना खिलाने से सार्वजनिक उपद्रव होता है और स्वास्थ्य संबंधी ख़तरा पैदा होता है। हाई कोर्ट ने बीएमसी को ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश भी दिया।

हाई कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए बीएमसी ने प्रतिष्ठित दादर कबूतरखाना सहित पूरी मुंबई के कई कबूतरखानों या कबूतरों को दाना-पानी देने के स्थानों को सील कर दिया है। बीएमसी ने दादर कबूतरखाने को तिरपाल से ढक दिया और नागरिकों को कबूतरों को खाना न खिलाने की चेतावनी देते हुए एक बोर्ड लगा दिया।

इस कदम का पक्षी प्रेमियों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि कबूतरों को खाना खिलाना एक धार्मिक और मानवीय कार्य है, फिर इस पर रोक क्यों लगाई गई है। चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक कबूतर मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा तो पैदा करते हैं, लेकिन यह खतरा काफी कम है।

बीएमसी ने मंगलवार को कहा कि उसने 13 जुलाई से 3 अगस्त के बीच शहर भर के 'कबूतरखानों' में कबूतरों को दाना डालने के आरोप में 142 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है और 68 हजार रुपये से ज्यादा का जुर्माना वसूला है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर एक बैठक की अध्यक्षता की और कबूतरखानों पर रोक को अस्थायी व्यवस्था बताया। मुंबई में 44 'कबूतरखाने' हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा पांच पांच पश्चिमी उपनगरों में पी-नॉर्थ और पी-ईस्ट वार्ड में हैं। पश्चिमी उपनगरों में K पश्चिम और दक्षिण मुंबई के डी वार्ड में चार-चार हैं।