केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए अब तक जमा किए गए पर्यावरण संरक्षण शुल्क और पर्यावरण मुआवजे का केवल 20 प्रतिशत ही खर्च किया है। सीपीसीबी को मोटे तौर पर पर्यावरण संरक्षण शुल्क और पर्यावरण मुआवजा से मुआवजा मिलता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को 20 मार्च को सौंपी गई सीपीसीबी रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण निकाय ने इन दोनों के तहत मिले कुल 777.69 करोड़ रुपये में से केवल 156.33 रुपये ही खर्च किए हैं। डीलरको 2000 सीसी या उससे ज्यादा क्षमता के इंजन वाले नए डीजल वाहनों के शोरूम प्राइज पर एक प्रतिशत पर्यावरण संरक्षण शुल्क देना होता है। इसे 'पर्यावरण संरक्षण शुल्क' कहा जाता है। ये दिल्ली और एनसीआर में रजिस्टर्ड वाहनों पर लागू होता है।
ईपीसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मिलता है और इसका इस्तेमाल दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधार और उससे जुड़े कार्यों जैसे अनुसंधान और विकास गतिविधियों, वाहन प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य प्रभाव अध्ययन और दिल्ली-एनसीआर और पंजाब में प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं पर किया जाता है। सीपीसीबी को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की तरफ से वसूले गए पर्यावरण मुआवजे का 25 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। पर्यावरण मुआवजा एनजीटी के आदेश पर मिलता है। इसका इस्तेमाल प्रयोगशालाओं/ निगरानी नेटवर्क को मजबूत कर, परियोजनाओं, अध्ययनों और निगरानी के माध्यम से पर्यावरण में सुधार और सुरक्षा पर किया जाता है।