Amol Muzumdar: अमोल मजूमदार की कहानी सिर्फ एक कोच की नहीं है, यह उस खिलाड़ी की कहानी है जिसने कभी भारतीय टीम की जर्सी नहीं पहनी, पर उसने वह कर दिखाया जो शायद भारत के लिए खेलने वाले भी नहीं कर पाए। उन्होंने खुद मैदान पर मौका नहीं पाया, लेकिन दूसरों को वह मौका दिलाया और उसी से भारत को विश्व कप फाइनल तक पहुंचा दिया। भारत की महिला क्रिकेट टीम 2005 और 2017 के बाद सिर्फ तीसरी बार वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंची और चैंपियन बन गई।
मजूमदार का जीवन एक इंतजार से शुरू हुआ, साल 1988 में वह 13 साल के थे, जब स्कूल क्रिकेट के टूर्नामेंट हैरिस शील्ड के दौरान नेट्स में अपनी बल्लेबाजी की बारी आने का इंतजार कर रहे थे। उसी दिन अमोल की टीम से ही खेल रहे सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रनों की ऐतिहासिक साझेदारी की। दिन खत्म हो गया, पारी घोषित कर दी गई, लेकिन अमोल को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। यह घटना उनके जीवन का प्रतीक बन गई। बैटिंग की बारी हमेशा उनसे कुछ दूर ही रही
1993 में जब उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया, तो पहले ही मैच में 260 रनों की ऐतिहासिक पारी खेल डाली। यह तब विश्व में किसी भी खिलाड़ी की डेब्यू पारी में सबसे बड़ा स्कोर था। लोग कहने लगे- यह अगला सचिन तेंदुलकर बनेगा। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दो दशक से भी अधिक लंबे करियर में उन्होंने 11,000 से ज्यादा रन बनाए, 30 शतक जड़े, लेकिन कभी भी भारत के लिए एक भी मैच नहीं खेल सके। वो एक सुनहरे युग के खिलाड़ी थे, जब टीम में तेंदुलकर, द्रविड़, गांगुली, लक्ष्मण जैसे सितारे थे। लेकिन मजूमदार उनके साए में कही खो गए थे ।
2002 तक आते-आते उन्होंने लगभग हार मान ली थी। चयनकर्ता बार-बार नजरअंदाज करते रहे। वो खुद कहते हैं, ‘मैं एक खोल में चला गया था, समझ नहीं आ रहा था अगली पारी कहां से निकलेगी।’ उन्होंने वापसी की और 2006 में मुंबई को रणजी ट्रॉफी जिताई। इसी दौरान उन्होंने एक युवा खिलाड़ी रोहित शर्मा को पहली बार फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में मौका दिया। फिर भी, दो दशकों में 171 मैच, 11,167 प्रथम श्रेणी रन, 30 शतक के बावजूद उन्होंने भारत के लिए एक भी मैच नहीं खेला।
कुछ सालों बाद अक्तूबर 2023 में जब उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया गया, तो कई लोगों ने सवाल उठाए कि जिसने भारत के लिए कभी नहीं खेला, वो कोच कैसे बनेगा? लेकिन दो साल बाद, वही लोग उनके सामने सिर झुका रहे हैं।
भारत को चैंपियन बनाकर अमोल मजूमदार की कहानी पूरी हो चुकी है। जिस बच्चे को 13 साल की उम्र में बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था, आज वही कोच बनकर पूरी टीम को चैंपियन बनने का मौका दे रहा है। उन्होंने दिखाया कि क्रिकेट सिर्फ मैदान पर खेलने वालों का खेल नहीं, बल्कि उन लोगों का भी है जो दिल से खेलते हैं। कभी-कभी खेल उन्हें याद नहीं रखता जिन्होंने खेला, बल्कि उन्हें याद रखता है जिन्होंने उसे बदल दिया, और अमोल मजूमदार ने सचमुच उसे बदल दिया है। जिसे बैटिंग की बारी कभी नहीं मिली, उसने पूरी टीम को जीत की बारी दी और चैंपियन बनाया।
बता दें कि भारत की महिला टीम इतिहास रच दिया है, टीम इंडिया ने महिला वनडे विश्व कप 2025 के फाइनल में द. अफ्रीका को 52 रन से हरा दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 50 ओवर में सात विकेट पर 298 रन बनाए थे। जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर सिमट गई। दीप्ति शर्मा ने चार विकेट लेकर मैच पलट दिया। दक्षिण अफ्रीका की कप्तान एल वोल्वार्ट की 101 रन की पारी बेकार गई।
52 साल के महिला वनडे विश्व कप के इतिहास में यह भारत का पहला वनडे विश्व कप का खिताब है। पहला महिला वनडे विश्व कप 1973 में खेला गया था। भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में एक ऐसी ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराया था, जिसे हराना मुश्किल माना जाता है। हालांकि, अमोल मजूमदार के लिए ऐसा करना आसान नहीं था। उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, न सिर्फ बतौर कोच, बल्कि अपने खेलने के दिनों में भी।