Varanasi: भोले की नगरी वाराणसी में भी दुर्गा पूजा उत्सव की धूम मची है। वाराणसी के केदारनाथ इलाके में देवी दुर्गा की एक मूर्ति पांच प्रकार के सूखे मेवों का उपयोग करके तैयार की गई है, जिन्हें स्थानीय रूप से ‘पंच मेवा’ के रूप में जाना जाता है।
वाराणसी को मिनी-बंगाल के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि शहर में बड़ी संख्या में बंगाली रहते हैं और उतनी ही बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल से भी लोग साल भर यहां आते हैं। दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए सबसे बड़ा त्योहार है और न केवल बंगाली बल्कि वाराणसी के निवासी भी इसे बहुत धूमधाम, उत्साह और भक्ति से सराबोर होकर मनाते हैं।
श्रद्धालुओं का कहना है कि “इस बार इन लोगों ने पंच मेवे की प्रतिमा बनाई हैं,जो लोगों को काफी आकर्षित कर रही है। और इस पंच मेवे की मूर्ति बनाने के पीछे इन लोगों का उद्देश्य ये हैं कि हर साल एक नई-नई चीज करें। नया लिखी लेकर आवे और दूसरे मां का जो श्रृंगार होना चाहिए वो अलग-अलग तरीके से होना चाहिए। ऐसी लोगों की धारणा है।”
काजू और किशमिश सहित सूखे मेवों का उपयोग करके तैयार की गई मूर्ति पंडाल में आने वाले लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
आयोजक ने बताया कि “हम पूरा आंकड़ा तो नहीं बता पाएंगे कि ये कितने में तैयार हुई, लेकिन वही 70 से 75 किलो किशमिश लगा है 35 से 40 किलो के करीब काजू है और 20 से 25 किलो बादाम है, छुआरा है कमलगट्टा ये सब चीजें हैं।”