मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के बद्रीशपुरम में रहने वाला वैभव अपने घर जापानी दुल्हन लेकर आया है। वैभव ने टोक्यो की रीसा संग 7 फेरे लिए हैं। 2 दिसंबर को दोनों लवबर्ड्स शादी के बंधन में बंध गए। पिछले 4 साल से वैभव, रीसा एक दूसरे को डेट कर रहे हैं। अब दोनों परिवारों की रजामंदी हुई और मेरठी दूल्हे ने जापानी रीसा को हिंदुस्तानी बहू बना दिया।
देश की सीमाओं से परे आखिर कैसे ये लवस्टोरी परवान चढ़ी ये नवविवाहित कपल ने खुद बताया है। मीडिया से बात करते हुए वैभव ने बताया कि आज से लगभग 4 साल पहले जब मैं टोक्यो में एमबीए की पढ़ाई करने गया था तब मेरा सपना फॉरेन से एजुकेशन लेकर इंडिया में बड़ी कंपनी संभालने का था लेकिन वहां जीवनसाथी मिल जाएगी ये मैंने सोचा नहीं था। वहां पढ़ाई के दौरान वैभव के कुछ जापानी दोस्त बन गए। पढ़ाई खत्म होने पर वैभव लौटकर इंडिया आए। यहां जॉब करने लगे लेकिन विदेशी दोस्तों से नाता बना रहा।
आपको बता दें इस प्रेम कहानी की असली शुरूआत रीसा के इंडिया आने पर हुई।रीसा टोक्यो की रहने वाली हैं। कुछ समय बाद रीसा को बैंग्लुरू में अपने किसी प्रोजेक्ट के कारण इंडिया आना पड़ा। तब वैभव को उनके टोक्यो के दोस्तों ने कहा कि हमारे यहां की एक लड़की इंडिया गई है तुम उसे हेल्प कर दो। रीसा-वैभव कॉमन फ्रैंड्स के जरिए मिले, दोनों में बातचीत शुरू हुई। पहले ये बातचीत प्रोफेशनल और काम तक सीमित थी, लेकिन बाद में बढ़ते-बढ़ते बात मोहब्बत और फिर शादी पर आ गई।
वैभव कहते हैं कि रीसा ने मुझे एक नजर में पसंद कर लिया, लेकिन मैंने ही दो देशों की डिफरेंट क्लचर, अलग रिवाजों के कारण सोचने में वक्त लगाया। रीसा मुझे भी पसंद थी, लेकिन मैंने देर से डिसीजन लिया। फिर एक दिन मैंने प्रपोज किया और वो मान गईं।
दोनों के बीच इंग्लिश ही बोलचाल की भाषा है क्योंकि रीसा हिंदी नहीं समझ पाती और वैभव को ज्यादा अच्छी जापानी नहीं आती। दोनों अंग्रेजी में बाते किया करते हैं। इसलिए प्यार का इजहार भी अंग्रेजी में हुआ। वैभव बताते हैं हम दोनों ने शादी करने का डिसाइड किया इसके बाद दोनों ने अपने घरवालों को बताया। रीसा के पिता अहमदाबाद, गुजरात में पोस्टेड हैं। लेकिन परिवार टोक्यो में रहता है। वो शादी के लिए मान गए। लेकिन मेरा परिवार भारतीय संस्कारों का है तो अपने परिवार को राजी करने में मुझे थोड़ा वक्त लगा। लेकिन अब पूरे परिवार की सहमति और खुशी से हमने शादी की है। सबका आशीर्वाद लिया है।
नेटवर्क 10 न्यूज़ ग्राउंड रिपोर्ट में रीसा बताती हैं कि उन्हें भारतीय संस्कृति, रीतिरिवाज, पहनावा, बनना संवरना सब बहुत पसंद आया। शादियों में हल्दी की रस्म सबसे ज्यादा पसंद आई। उसकी मस्ती, इंडियन डांस, इंडियन फूड सब पसंद आया। रीसा ने अपने हाथों में हिंदुस्तानी दुल्हनों की तरह पति वैभव का नाम लिखवाया है। वैभव ने भी मेंहदी में रीसा का नाम और दिल बनवाया है। रीसा कहती हैं हम जल्द मलेशिया में शिफ्ट होंगे। परिवार के साथ चलकर, रहकर अपना जीवन आगे बढ़ाएंगे।
वही वैभव के पिता दिवाकर नंद ध्यानी ने बताया कि वो इस शादी से बेहद खुश हैं। परिवार में किसी को कोई आपत्ति नहीं है। बहू रीसा के लिए परिवार ने अपनी पहाड़ी संस्कृति के अनुसार गढ़वाली नथ और सारे गहने सोने के बनवाए हैं। वो कहते हैं ये सारा श्रृंगार पहनकर रीसा एकदम हमारी अपनी गढ़वाली बहू लगती है। हम बहुत खुश हैं। रीसा के पिता अहमदाबाद, मम्मी टोक्यो, छोटी बहन नीदरलैंड से शादी में आए। विदेशी दोस्त भी दूसरे देशों से पहुंचे।