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कुछ इस तरह से होगी आत्मनिर्भर अयोध्या, भव्य मंदिर की उम्दा कलाकारी

इस साल के  महज चंद दिन  रह गए हैं।  और नए साल का आगाज उस तारीख की ओर ले जाएंगा जिसका वर्षो  से एक टक इंतजार था।  22 तारीख वो तारीख होगी जो इतिहास के पन्नों में  स्वर्णिम अक्षरों के से लिखी होगी।  आने आले अंतत काल तक अमिट होगी। उत्तर प्रदेश की  अयोध्या में होने वाली राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह, उमंग और आस्था के रंगमंच  की प्रकिया भी भढ़ती जा रही है।  विश्व भर में राम नाम की गूंज होगी, महौल राममय होगा।   इतनी हीं नहीं 22 जनवरी  के साथ ही इतिहास  के पन्नों पर तमाम सारी चीजे, लोगों के नाम और उनके योगदान का भी जिक्र होगा। इसे बनाने वाले कारीगरों, शिल्पकार हो  कई बड़े बड़ें लोगों के नाम शामिल होंगे।  अयोधया के भव्य मदिंर के निर्माण में जो उम्दा कालकारी उकेरी गई वो देखते ही बनेगी। ऐसी भव्यात्मक मंदिर का आाकार दिया गया हो जैसे स्वयम मानो  स्वर्गलोक से  भागवान विश्वकर्मा ने बनाया हो।  जिसकीतैयरी पूरी जोर शोर से हो रही है। देखा जाए तो वैसे दिन ही प्राण प्रतिष्ठा के दिन ही कितने शेष रह गए हैं ऐसे  में तैयरियों को युद्ध स्तर पर की ज रही हैं। समूचे भारत में एक बार पिर से राम  राज्य की लहर  आने वाली है जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी।    

बता दें कि  अयोध्या अपने आप में  बेहद  हीखाश होगी. जिससे तमाम तरह की चीजों का समावेश  देखने को मिलेगा।  खास बात तो ये है कि  इसे  आत्मनिर्भर के तर्ज पर तैयार किया गया। जैसे पीएम मोदी  ने देश को  आत्मनिर्भर की राह दिखाई है ठीक उसी राह पर चलते हुए अयोध्या का राम मदिंर भी आत्म मिर्भर बनाया गया है। इसके लिए कहीं  भी  किसी भी चीज  को दूर से लाने की जूरूरत नहीं होगी।  बता  दें कि सीवेज हो या फिर जल निकासी प्रणाली पर कोई जोर नहीं जाला जाएगा। जिसके तहत परिसर में ही अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र यानी की एसटीपी, और साथ ही एक जल शोधन संयंत्र डब्ल्यूपीटी  और पावर की भी लाइन होगी। इसी के साथ ही परिसर में जरूरत पड़ने की हिसाब से दमकल चौकी  को भी  वहीं बनाया गया है। जो कि भूमिगत जलाश्य से पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।  तो ऐसे में इस तरह से अयोध्या को आत्मनिर्भर के तर्ज पर बनयाा गया है।

भगवान  राम की पावन जन्मभूमि को  अयोध्या को मसावेशी विकाश देखने को मिलेगा। जहां हिरयाली छटा से जाने वाल किसी  यात्री का मन मु्ग्ध हो  जाएगा। मंदिर के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखने को मिलेगी।  जहां कदम कदम पर  हर भरें पौधे देखने को मिलेगें जो किसी को भी अपनी ओर आसानी से आकर्षित कर लें । बता दें कि  एकड़ पर बने मंदिर  पर साथ ही साथ हरित क्रांति क भी विशेष  ध्यान  रखा गया है। 70 एकड़ परिसर का लगभग 70 प्रतिशत का जो हिस्सा है वो हरित  जोन का होगा।   जिसमें करीब 600 पेड़ संरक्षित हैं।