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पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर का रहस्य

भगवान शिव को लेकर अनेकों ऐसे मंदिर है जो रहस्य से भरे हुए है, कई ऐसी गुफाएं है जो पौराणिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता अपने अंदर छुपाए हुए हैं। इन्हीं में से एक है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। इस मंदिर का रहस्य भी अपने आप में काफी अद्भुत है। भगवान शिव का ये मंदिर समुद्र तल से 90 फीट नीचे है। इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए बहुत ही संकीर्ण रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर अलग अलग रहस्यों के लिए काफी प्रसिद्ध है। ऐसा भी माना जाता है कि इस गुफा के अंदर दुनिया के खत्म होने का भी रहस्य छुपा हुआ है। 

भगवान शिव का ये रहस्यमय मंदिर देवदार के घने जंगलों से घिरा हुआ है। स्कन्द पुराण में भी इस मंदिर की महिमा के बारे में बताया गया है। पुराणों के अनुसार पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर एकलौता ऐसा मंदिर है जहां से चारों धाम यानि कि केदारनाथ, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम और द्वारका के दर्शन हो जाते है। 

माना जाता है की मंदिर में 33 कोटि देवी देवता निवास करते है। त्रेता युग में राजा ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार गुफा में चार द्वार है जो रण द्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार के नाम से जाने जाते है। ऐसा कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार अपने आप बंद हो गया था, और महाभारत के खत्म होने के बाद रण द्वार को भी बंद कर दिया गया था, गुफा में चार खंभे है जो चार युग को दर्शाते है सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। कलयुग का खंबा सबसे बड़ा है। इसके साथ ही गुफा में जो शिवलिंग मौजूद है उसका आकार भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, ऐसा कहा जाता है कि जब शिवलिंग का आकार गुफा की छत को छु जाएगा तब पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी।    
गुफा में चमकीले पथर भगवान शिव की जताओं को दर्शाते है। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान गणेश का काटा हुआ सिर गुफा में किसी चटान के रूप में मौजूद है।