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लिफ्ट में 3 घंटे फंसा रहा 8 साल का मासूम, आवाज लगाई किसी ने नहीं सुना तो बैठकर पूरा कर लिया होमवर्क

Faridabad News: बीते दो दिनों में फरीदाबाद की दो अलग-अलग रेजिडेंशियल सोसाइटीज में दो अलग-अलग मामले सामने आए, जिसमें बच्चे घंटों तक लिफ्ट में बंद रहे. इस दौरान उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. हालांकि, लिफ्ट में बंद एक बच्चे ने बिना घबराए अपनी सहनशीलता का परिचय दिया. यहां तक कि ध्यान भटकाने के लिए उसने लिफ्ट में ही होमवर्क भी कर डाला.

ये मानसा फरीदाबाद के ओमेक्स रेसीडेंसी सोसाइटी का है. यहां शनिवार शाम को एक 8 साल का गौरवान्वित करीब ढाई घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा. बच्चे ने बिना किसी घबराहट के इस स्थिति का सामना किया और लिफ्ट में आराम से बैठकर अपना स्कूल और ट्यूशन दोनों का होमवर्क निपटा दिया.

जानकारी के मुताबिक, गौरवान्वित शाम 5:00 बजे ट्यूशन के लिए 5 फ्लोर से लिफ्ट द्वारा नीचे गया था. वह अमूमन 6:00 बजे तक ट्यूशन से वापस आ जाता है. लेकिन जब वह शाम 7:00 बजे तक भी नहीं आया तो परिजनों ने ट्यूशन फोन कर उसके बारे में जानकारी ली. पता चला कि वह आज ट्यूशन ही नहीं आया. इसके बाद परिजनों ने उसे तलाशना शुरू किया. पता चला कि लिफ्ट शाम 5:00 बजे से बंद है. परिजनों को आशंका हुई कि कहीं उनका बेटा लिफ्ट में ही तो नहीं फंस गया है. तुरंत लिफ्ट प्रबंधक को इस बारे में जानकारी दी गई. जिसके बाद लिफ्ट को खोला गया तो देखा कि गौरवान्वित अंदर ही मौजूद था. 

3 घंटे तक बंद रही लिफ्ट
बच्चे का परिजन इस बात से खासा नाराज दिखाई दिए की 3 घंटे से लिफ्ट बंद रही. लेकिन किसी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि लिफ्ट के अंदर क्या कोई बंद तो नहीं है. हालांकि, बच्चे का कहना है कि उसने जोर से आवाज भी लगाई और इमरजेंसी बटन भी दबाया. लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया.  बच्चे ने बताया कि उसने अपना ध्यान भटकाने के लिए लिफ्ट में ही होमवर्क करना शुरू कर दिया.

दूसरा मामला फरीदाबाद के एसआरएस रेजिडेंशियल सोसायटी का है. सोसाइटी के C7 टावर में फ्लैट नंबर 406 में रहने वाले विकास श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी 11 साल की बेटी स्नेहा, जो कि छठी कक्षा में पढ़ती है रविवार शाम को लिफ्ट में फंसी रही. बच्ची के पिता ने बताया कि वह रोजाना दोपहर 3:00 बजे से ट्यूशन जाती है और 5:45 बजे तक आ जाती है. बीते कल यानी रविवार को भी वह 5:45 बजे तक वापस आ गई थी लेकिन 6:00 बजे वह फिर से चली गई. 

इसके बाद वह काफी देर तक नहीं आई तो आस-पड़ोस में उसके बारे में पता किया गया. लेकिन कहीं से कुछ भी पता नहीं चल सका. स्नेहा के पिता उसे काफी देर ढूंढते और जब ढूंढ कर थक गए तो उन्होंने इस टावर में फ्लैट नंबर 906 में रहने वाले अपने भाई को इस बात की सूचना दी कि बच्ची स्नेहा का कुछ पता नहीं चल रहा है. जिसके बाद उनके भाई ने हर टावर में बच्ची को तलाश करना शुरू किया. तब जाकर पता चला कि बच्ची ग्राउंड फ्लोर पर लिफ्ट में है और लिफ्ट करीब ढाई घंटे से बंद है.

फिर कड़ी मशक्कत के बाद बच्ची को बाहर निकल गया तो देखा की बच्ची की हालत बेहद खराब थी वह पसीने से पूरी तरह लथपथ थी. उनका कहना है कि ज्यादा देरी बच्ची के लिए घातक साबित हो सकती थी. फिलहाल बच्ची ठीक है. विकास श्रीवास्तव ने बताया कि इस दौरान किसी भी गार्ड ने यह चेक करने की कोशिश नहीं की कि जब लिफ्ट बंद है तो क्या उसके अंदर कोई फंसा भी हो सकता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि उनकी समिति लिफ्ट मेंटिनेस के लिए जॉनसन कंपनी को प्रतिवर्ष 24 लाख रुपए देती है. बावजूद इसके लिफ्ट हमेशा खराब ही रहती है. 

2 दिनों के भीतर फरीदाबाद में दो अलग-अलग सोसाइटी में हुए इस तरह के मामले यह बताने के लिए काफी है की लिफ्ट मैनेजमेंट स्टाफ किस कदर लापरवाह है. दोनों ही मामलों में अगर ज्यादा देर लिफ्ट बंद रहती तो यह गंभीर हादसे का रूप ले सकती थी. ऐसे में जरूरत है कि लिफ्ट की मेंटेनेंस करने वाली कंपनियां इस मामले को गंभीरता से लें और अपने स्टाफ को जागरूक करें.