नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा उच्च कुशल श्रमिकों के लिए एच-1बी वीज़ा पर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाए जाने के बाद, विपक्षी नेताओं ने इस घोषणा की निंदा की। नेताओं ने कहा कि ज़्यादातर वीजा धारक आईटी और तकनीकी उद्योगों में काम करने वाले भारतीय हैं, जिन पर इसका असर पड़ेगा। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पीटीआई वीडियो को बताया कि राहुल गांधी ने 2017 में एक पोस्ट में ऐसी ही स्थिति की चेतावनी दी थी। खेड़ा ने कहा कि देश एक कमज़ोर प्रधानमंत्री के परिणाम भुगत रहा है।
खेड़ा ने कहा, "ये बहुत बड़ी क्षति है। और राहुल गांधी ने 5 जुलाई, 2017 को अपने पोस्ट में इस स्थिति के बारे में चेतावनी दी थी, फिर भी प्रधानमंत्री नहीं चेते। हम रोज़ाना एक कमज़ोर प्रधानमंत्री के परिणाम देख रहे हैं। हमने युद्धविराम, टैरिफ़ और आज भी इसका सामना किया है। डोनाल्ड ट्रंप के अपमानजनक बयान आप सभी के सामने हैं।"
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि ट्रंप और मोदी की दोस्ती भारत के लिए महंगी पड़ती जा रही है, ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी को अपने अच्छे दोस्त को समझदारी से समझाना चाहिए क्योंकि ये प्रतिबंध नवाचार के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अच्छे नहीं हैं।
सीपीआई महासचिव डी राजा ने देशों के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ने के ट्रंप के तरीकों की कड़ी निंदा की। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत एच1-बी वीज़ा की फीस सालाना 1,00,000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगी। ये आव्रजन पर नकेल कसने के प्रशासन के प्रयासों का नवीनतम कदम है। ट्रंप ने कुछ गैर-आप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए ये भी कहा कि एच1बी कार्यक्रम का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
ट्रंप ने घोषणापत्र में कहा कि एच1बी गैर-आप्रवासी वीज़ा कार्यक्रम अस्थायी कामगारों को अमेरिका में अतिरिक्त, उच्च-कुशल कार्य करने के लिए लाने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसका जानबूझकर अमेरिकी कामगारों की पूर्ति करने के बजाय, कम वेतन वाले, कम-कुशल कामगारों से उनकी जगह लेने के लिए शोषण किया गया है।