आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में गुरुवार को बांग्लादेश के खिलाफ भारत के पहले मैच में कप्तान रोहित शर्मा की आक्रामक बल्लेबाजी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई। 229 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए रोहित ने 41 रनों की तेज पारी खेली और शुभमन गिल के साथ 69 रनों की ओपनिंग साझेदारी में अहम योगदान दिया। इस पारी में रोहित ने 11,000 वनडे रन बनाने का कीर्तिमान भी अपने नाम किया।
भारत रविवार को अपने अगले ग्रुप चरण मैच में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान का सामना करने के लिए तैयार है। इस बीच बहस जारी है कि क्या रोहित की आक्रामक बल्लेबाजी एक वरदान है जो तेज शुरुआत देती है या फिर टीम की मुश्किल बढ़ाने वाली है जो पारी को अस्थिर करने का जोखिम उठाती है?
बांग्लादेश के खिलाफ रोहित ने छठे ओवर में मुस्तफिजुर रहमान की गेंद पर तीन चौके लगाए। हालांकि, जब कप्तान तस्कीन अहमद की गेंद पर आउट हो गए, तो भारत ने लक्ष्य का पीछा करते हुए जल्दी-जल्दी कई विकेट खो दिए। इससे लगने लगा कि कहीं बांग्लादेश की टीम मैच में वापसी न कर ले।
रोहित का बांग्लादेशी गेंदबाजों पर हावी होने का इरादा सकारात्मक रहा, लेकिन खेल के महत्वपूर्ण मोड़ पर उनका आउट होना आक्रामकता और सावधानी के बीच संतुलन पर सवाल खड़ा करता है। आक्रामक शुरुआत के बाद अचानक आउट होने का ये पैटर्न पिछले कई हाई प्रेशर मुकाबलों में देखा गया है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2023 विश्व कप फाइनल के दौरान, रोहित शानदार फॉर्म में दिखे। उन्होंने 31 गेंदों पर 47 रन बनाए, लेकिन ग्लेन मैक्सवेल की गेंद को मिड-ऑफ पर उछालने के प्रयास में आउट हो गए। इसी तरह, उसी टूर्नामेंट में इंग्लैंड के खिलाफ, वे तेजी से रन बनाने की कोशिश में 87 रन पर आउट हो गए, जिससे महत्वपूर्ण मुकाबलों में आक्रामकता और शॉट चयन के बीच की बेहद बारीक फर्क सामने आया।
जैसे-जैसे भारत का सफर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में आगे बढ़ेगा, रोहित की आक्रामकता और जोखिम उठाने की क्षमता अहम होगी। हालांकि उनका आक्रामक शुरुआत करना बेजोड़ है, लेकिन ये सुनिश्चित करना कि वे उन्हें बड़े स्कोर में बदल दें, महत्वपूर्ण मैचों में दबदबा कायम करने और कमजोरी के बीच का अंतर हो सकता है।