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अय्यर ने IPL में हासिल किया खास मुकाम, भारतीय क्रिकेट के नये ‘कैप्टन कूल’ के तौर पर उभरे

कोलकाता नाइट राइडर्स के 10 साल के खिताबी सूखे को पिछले बरस खत्म करने वाले श्रेयस अय्यर पंजाब किंग्स को पहली बार इंडियन प्रीमियर लीग चैंपियन बनाने से बेहद मामूली अंतर से चूक गए लेकिन उन्होंने खुद को एक ऐसे कप्तान के रूप में स्थापित कर लिया है जिसकी भारत को शायद भविष्य में आवश्यकता हो सकती है। महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा के बाद अय्यर आईपीएल के तीन फाइनल में पहुंचाने वाले तीसरे कप्तान बन गए हैं। उनकी ये उपलब्धि बेहद ही खास है क्योंकि उन्होंने पिछले पांच सालों में तीन अलग-अलग फ्रेंचाइजी टीमों के साथ ऐसा किया है। यह एक ऐसे खिलाड़ी के लिए काफी बड़ी बात है, जिसे इस महीने इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली है। 

केकेआर ने पिछले साल उन्हें जाने दिया क्योंकि फ्रेंचाइजी को बड़ी रिटेंशन फीस (टीम में बनाए रखने की रकम) की उनकी मांग उचित नहीं लगी। केकेआर का ये नुकसान पंजाब किंग्स के लिए एक बड़ा फायदा साबित हुआ। पंजाब की टीम को 30 वर्षीय खिलाड़ी के रूप में एक समझदार और जज्बे वाला कप्तान मिला। ऐसा कप्तान जो करियर के उतार-चढ़ाव को शालीनता से संभालना जानता हो। शुभमन गिल की कप्तानी की परीक्षा अभी नहीं हुई है। उन्हें इंग्लैंड में कप्तान के रूप में कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा। लेकिन तीन जून 2025 के बाद श्रेयस संतोष अय्यर को भारतीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक माना जाना चाहिए।

अय्यर की कप्तान में अपनी समझदारी के साथ करिश्माई महेंद्र सिंह धोनी जैसा संयम और विराट कोहली जैसा आक्रामक रवैया के साथ मुंबई के उनके सीनियर रोहित शर्मा की तरह एक ‘बिंदास मुंबईकर’ के मिश्रण का पुट दिखा। आईपीएल के फाइनल में मंगलवार को आरसीबी के खिलाफ छह रन की हार के बावजूद अय्यर के आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं दिखी। उन्होंने निराशा को पीछे छोड़ते हुए कहा, ‘‘अभी काम आधा बाकी है, हमें अगले साल जीतना है।’’ 

इंग्लैंड के लिए टीम में उनका न होना पंजाब किंग्स के कोच रिकी पोंटिंग के लिए भी काफी हैरानी भरा रहा। पोंटिंग ने आईपीएल प्लेऑफ से पहले ‘आईसीसी रिव्यू’ में कहा था, ‘‘मैं वास्तव में बहुत दुखी था लेकिन उसने इसे बहुत अच्छे से स्वीकार कर लिया है और वह आगे बढ़ गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनकी आंखों में हर बार अच्छा प्रदर्शन करने की ललक रहती है। वो हर मैच को जीतना चाहता है और एक सर्वश्रेष्ठ कप्तान के रूप में विकसित होना चाहता है।’’ 

दो बार के विश्व कप विजेता कप्तान का ये बयान काफी मायने रखता है। पोंटिंग ने ये बात सिर्फ अपने फ्रैंचाइजी कप्तान का समर्थन करने के लिए नहीं कही। इन दोनों के बीच काफी पुराना रिश्ता है। साल 2017 में जब गौतम गंभीर ने बीच सत्र में कप्तानी छोड़ने का फैसला किया, तो पोंटिंग की सलाह पर ही अय्यर दिल्ली आईपीएल फ्रैंचाइजी के कप्तान बने। 

दिल्ली की फ्रेंचाइजी 2020 में आईपीएल फाइनल में पहुंची जो इस टीम की इस लीग की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। चोट के कारण ब्रेक लेने के बाद कैपिटल्स ने फैसला किया कि वे उन्हें टीम में बरकरार रख ऋषभ पंत को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। पंत उस समय के उभरते सितारे थे और कप्तानी की महत्वाकांक्षा रखते थे। अय्यर इसके बाद केकेआर के कप्तान बने और टीम 2024 में चैंपियन बनी। अय्यर को हालांकि इस खिताब का ज्यादा श्रेय नहीं मिला क्योंकि उन्होंने टीम की जरूरतों के हिसाब से निचले क्रम में बल्लेबाजी की।

टीम के तत्कालीन मेंटोंर और भारतीय टीम के मौजूदा कोच गंभीर को रणनीतिक सूझबूझ के लिए ज्यादा श्रेय मिला। कप्तान के सहज निर्णय और समझदारी की गई तैयारियों पर किसी का ज्यादा ध्यान नहीं गया। कोई खिलाड़ी हालांकि दो अलग-अलग फ्रेंचाइजी टीमों का नेतृत्व करते हुए अलग-अलग प्रबंधन, अलग-अलग विचारधारा और खिलाड़ियों की बदलती सूची के साथ लगातार दो सत्र में फाइनल तक पहुंचता है तो उसकी रणनीतिक प्रतिभा को लंबे समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

अय्यर को आखिरकार इस सत्र में उसका हक मिल गया। इससे ये भी साफ हो गया कि मैच की परिस्थितियों की समझ और रणनीति पर उसकी पकड़ बेजोड़ थी। उन्हें पता था कि जिन पिचों पर उछाल की कमी है, वहां काइल जैमीसन की ‘बैक ऑफ द लेंथ’ गेंदें कारगर साबित होंगी और ये मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ।  

गुजरात टाइटंस के खिलाफ उन्होंने विजयकुमार विशाख से बार-बार वाइड यॉर्कर डालने को कहा और ये कारगर साबित हुआ। क्वालीफायर दो में मुंबई इंडियंस के खिलाफ उन्होंने उनसे नकल बॉल से अपनी गेंदों की गति कम करने को कहा और यह कारगर भी रहा। उन्होंने दिखाया है कि रोहित शर्मा के वनडे से संन्यास लेने के बाद उन्हें टीम की कप्तानी के लिए मजबूत उम्मीदवार माना जा सकता है। वो 50 ओवर के प्रारूप में बेहतरीन बल्लेबाज हैं और जब टी20 या टेस्ट की बात आती है तो वो जल्द ही दोनों प्रारूपों की टीम में जगह बनाने का माद्दा रखते है। 

अय्यर के साथ पिछले दो साल से करीब से काम करने वाले ने कहा, ‘‘सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात विचारों की स्पष्टता है। वो प्रक्रिया का गंभीरता से पालन करने वाला खिलाड़ी है। वो शारीरिक फिटनेस से संबंधित अपनी दिनचर्या और अभ्यास को कभी नहीं छोड़ता। उसके लिए ‘चिट मिल’ जैसे कोई चीज नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने पिछले कुछ वर्षों में अपने दोस्तों के समूह को सीमित कर दिया है। वो इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके आस पास कोई नकारात्मकता न आए।’’ 

अभिषेक नायर की देखरेख में उनके बल्लेबाजी की मानसिक पहलू को मजबूती मिली है जबकि बचपन के कोच प्रवीण आमरे ने भारतीय टीम से दूर रहने के दौरान उनके खेल में सुधार करने पर काफी मेहनत किया है। अय्यर के एक करीबी दोस्त ने कहा, ‘‘वो अमूमन खाली समय में अपने हाथ में बल्ला लेकर मैच जैसी स्थिति और गेंद की कल्पना कर शॉट का अभ्यास करता है। ’’ 

अय्यर को मैच में अपना शत प्रतिशत नहीं देने वाले खिलाड़ी (क्वालीफायर 2 में शशांक सिंह का रन आउट) के खिलाफ भड़कते हुए देखा गया तो वहीं वो प्रियांश आर्य जैसे युवा के कंधे पर हाथ रखकर उसे अपना स्वाभाविक स्ट्रोक खेलने के प्रेरित करते भी दिखे। पंजाब किंग्स जब पहले क्वालीफायर में आरसीबी से हार गया था तो उन्होंने कहा था, ‘हम लडाई हारे हैं, युद्ध नहीं।’’ 

उनका ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और उन्होंने क्वालीफायर दो में मुंबई इंडियंस के खिलाफ नाबाद 87 रन की पारी खेल कर इसे सही भी साबित किया। उस क्षण से ही ये स्पष्ट हो गया था कि भारतीय क्रिकेट में एक ऐसे कप्तान की शुरुआत हो रही है, जो सामान्य चीजों को समझने और बड़ी तस्वीर को देखने की क्षमता रखता है। श्रेयस अय्यर वास्तव में एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं।