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मिट्‌ठू को ढूंढकर लाने वाले को मिलेंगे 10 हजार, आकांक्षा बोलीं- वो मेरे तीसरे बच्चे जैसा था

मेरठ में एक पालतू तोता मिट्‌ठू घर से उड़कर कहीं चला गया। चार दिन बाद भी जब वह नहीं मिला तो घर वालों ने तोते मिट्‌ठू की सोशल मीडिया पर फोटो शेयर की। मोहल्ले और आसपास क्षेत्र में उसके मिसिंग होने के पोस्टर लगाए। पोस्टर में लिखा-जो तोता ढूंढकर लाएगा उसे 10 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा। परिवार के लोग और बच्चे पिछले चार दिनों से लापता हुए तोते को घर के बाहर और सड़क के किनारे खड़े पौधों में मिट्‌ठू...मिट्‌ठू पुकार कर उसे खोज रहे हैं।

आपको बता दे मोहल्ला प्रभातनगर में रहने वाली आकांक्षा ने बताया कि सोमवार को वह घर में पुरानी सीढ़ी निकाल रहीं थी। अचानक सीढ़ी नीचे गिर गई और जोर की आवाज हुई। इससे मिट्‌ठू डर गया। बालकनी का गेट खुला हुआ था। मिट्‌ठू उड़कर बाहर चला गया और फिर वापस नहीं आया।

उसे बहुत देर तक आवाज दी। पहले लगा कि वह कुछ देर बाद घर वापस आ जाएगा। मगर जब वह कई घंटे तक वापस नहीं आया तो आकांक्षा ने बच्चों के साथ तोते को ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला।

मीडिया से बात करते हुए आकांक्षा ने बताया कि चार साल पहले बच्चों बेटी तनवी और बेटा मेधांश ने कहा कि मम्मा पैट पालेंगे। इसके बाद हमने तय किया कि एक तोता लाते हैं। जब हमने मिट्ठू को खरीदा था तो वह दो महीने का था। हमने उसे घर में कभी पिंजरे में नहीं रखा। वह हमेशा खुला रहता था। कभी बाहर जाते तो पिंजरे में लेकर जाते थे। कार में पिंजरे से बाहर निकाल लेते थे।

जब उसे घर लेकर आए बच्चों और हम सभी ने उसका नाम रखा मिट्‌ठू। कुछ दिन बाद ही वह हम सभी से घुलमिल गया और साथ घर में घूमने फिरने लगा। उनके दोनों बच्चे उसके साथ रोज खेलते थे।

वही आकांक्षा ने बताया कि मिट्‌ठू हमारे ही रूम में सोता था। हमने उसका अलग बेड बनाया हुआ था। उसी पर वो सोता था। हमारे घर में 11 साल के बेटे मेधांश के बाद वह सबसे छोटा था। मिट्‌ठू अपना नाम भी लेता था। वह मुझे मम्मा बोलता था। मैं जब मेधांश और तनवी को आवाज देती थी तो वह मम्मा बोलता था। मैं रोज उसको नहलाती थी।

मैं बेड पर जाती थी तो अपने बेड से उड़कर मेरे बेड पर आ जाता था। उसे कलरफुल चीजें अच्छी लगती थी। पिंक कलर उसे बहुत पसंद था। सबसे पहले वह पिंक पर ही बैठता था।

जिसके बाद आकांक्षा ने बताया कि उनकी बेटी तनवी 15 साल की है और बेटा मेधांश 11 साल का है। मिट़ठू उनके तीसरे बच्चे जैसा था। उसके चले जाने से बच्चे उदास हैं, उनका चेहरा उतर गया है। पूरा दिन बच्चे दुखी से बैठे रहते हैं। वह कई बार बाहर जाकर पेड़ों में उसे नाम से बुलाकर खोजते हैं, नहीं मिलने पर उदासी भरा चेहरा लेकर वापस आ जाते हैं। पहले दिन बच्चों ने ढंग से खाना भी नहीं खाया था।

हम लोग जब भी खाना खाते तो मिट्‌ठू भी हम लोगों के साथ खाना खाता था। मंगलवार को बच्चे खाना खाने बैठे तो उन्हें मिट्‌ठू की याद आ गई, उन्होंने पूरा खाना भी नहीं खाया। पूरा दिन मिट्‌ठू सभी का नाम रटता था, वो आवाज अब कहीं खो गई है, ऐसे समझिए कि घर की रौनक था मेरा मिट्‌ठू।

सोमवार से मिट़ठू को ढूंढ रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाला है। अब उसके पोस्टर लगाए हैं। प्लीज जिसको भी हमारा मिट़ठू मिले वह ला दे। हम उसको 10 हजार रुपए गिफ्ट में देंगे। आंकाक्षा के पति मोहन सिंह बिजनेसमैन हैं।

जहां पर वे उसके खाने का पूरा ध्यान रखती थीं। उसको सन फ्लावर सीड तोड़कर खिलाती थी। दिन में एक बादाम, सेब और अमरूद खिलाती थीं। आकांक्षा बताती हैं कि मिट्ठू को शिमला मिर्च बहुत पसंद थी। गर्मी-सर्दी में उसको शिमला मिर्च जरूर देती थी।