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अजब-गजब: दो बच्चे नहीं आ रहे थे स्कूल, शिक्षक पूरी कक्षा को लेकर पहुंच गए उनके घर

झांसी: पढ़ाई बहुत जरूरी है, लेकिन गांव-देहात क्षेत्र में अक्सर माता-पिता बच्चों का परिषदीय स्कूलों में एडमिशन तो करा देते हैं लेकिन उन्हें स्कूल नहीं भेजते। कोई मजदूरी पर जाने का बहाना बना देते हैं तो कोई फसल कटने की बात करता है। ऐसे में स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती चली जाती है। बेचारे शिक्षक भी इसमें कुछ नहीं कर पाते हैं, लेकिन कहते हैं कि जरा सी कोशिश की जाए तो एक शिक्षक कुछ भी कर सकता है। अगर बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं तो वह पूरा स्कूल लेकर भी बच्चों के घर पहुंच सकता है।

असल में ये किसी बाल फिल्म की कहानी नहीं है। झांसी के लकारा प्राथमिक विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक अमित वर्मा ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। वह स्कूल के विद्यार्थियों को लेकर ऐसे दो बच्चों के घर पहुंच गए जो कई हफ्तों से स्कूल ही नहीं आ रहे थे। उनकी गांधीगिरी रंग लाई और बच्चों के माता-पिता ने उन्हें शिक्षक के साथ स्कूल भेज दिया।

बताया गया है की झांसी के मऊरानीपुर में घाटकोटरा गांव के रहने वाले शिक्षक अमित वर्मा 14 साल पहले शिक्षक बने थे। इन दिनों वह झांसी में ही बड़ागांव ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय लकारा में तैनात हैं। इस स्कूल में 241 बच्चे पंजीकृत हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए छह सहायक अध्यापक, एक प्रधानाध्यापक और एक शिक्षामित्र नियुक्त है। वह चौथी कक्षा के बच्चों को पढ़ा रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि विद्यार्थी मीना और गजराज कक्षा में नहीं हैं। ये दोनों बच्चे कई हफ्तों से स्कूल नहीं आ रहे थे। 

दोनों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसके लिए उन्होंने उसी गांव के कुछ बच्चों को कई बार मीना और गजराज के घर भेजा, लेकिन उनके घरवालों ने बच्चों को नहीं भेजा। बताया गया कि परिवार के कुछ लोग मजदूरी करने के लिए गए हैं और बच्चे भी उनके साथ पड़ोस के गांव चले गए। दोनों बच्चों को स्कूल लाने के लिए वह भी दो-तीन बार उनके घर गए थे। लेकिन जब भी बच्चे नहीं दिखे तो उन्होंने सुबह 10 बजे के करीब कक्षा में मौजूद 33 बच्चों को अपने साथ लिया और मीना व गजराज के घर पहुंच गए और वहीं उनके घर के बाहर बच्चों को बैठाकर पढ़ाने लगे। यह देख आसपास के लोगों की भीड़ लग गई। कई ग्रामीणों को पता चला कि मास्टर साहब बच्चों को लेकर मीना और गजराज को स्कूल ले जाने आए हैं तो उनमें से कई ग्रामीण मजाक बनाने लगे कि पढ़-लिखकर क्या होगा, बच्चों को मां-बाप की तरह मजदूरी ही तो करनी है। लेकिन, यह सब सुनने के बाद भी अमित चुपचाप बच्चों को पढ़ाते रहे।

ऐसे में कुछ देर बाद गांव के कुछ लोग आए और सड़क पर पढ़ रहे बच्चों से गणित और हिंदी के कई सवाल करने लगे, बच्चों ने उन्हें सारे जवाब सही-सही दिए तो ग्रामीण बच्चों की सराहना करने लगे, उन्हीं में से कुछ बोले, बच्चों को स्कूल जरूर जाना चाहिए। पढ़-लिखकर बच्चों को अच्छी जिंदगी मिल सकती है।

फिर क्या था, कुछ ही देर बाद मीना और गजराज के माता-पिता शिक्षक के पास आए और उन्होंने कहा कि वह अब से अपने बच्चों को रोज स्कूल भेजेंगे। उन्होंने अपने-अपने बच्चों को बाकी बच्चों व शिक्षक के साथ स्कूल भेज दिया। शिक्षक अमित वर्मा ने बताया कि बच्चों का प्रतिदिन स्कूल न आना शिक्षा के स्तर पर प्रभाव डालता है। बहुत जरूरी है कि विद्यार्थी प्रतिदिन विद्यालय पहुंचें। ताकि निपुण लक्ष्य के मानक पार किए जा सकें।