उत्तर प्रदेश के लाल गोपालगंज में पहुंचते ही लाल-पीले रंग के धागों की भरमार देखने को मिलती है। ये छोटा सा शहर प्रयागराज से करीब 50 किलोमीटर दूर है। इन धागों को कलावा कहते हैं। पवित्र माना जाने वाला कलावा हिंदू अनुष्ठानों में कलाई पर बांधा जाता है। दिलचस्प बात है कि लाल गोपालगंज में कलावा बनाने का काम कुशल मुस्लिम कारीगर करते हैं। वे ये काम पीढ़ियों से कर रहे हैं।
ये कारीगर कलावा के अलावा चुनरी बनाने में भी माहिर हैं। मंदिरों और घरों में भी देवी-देवताओं की मूर्तियों को चुनरी ओढ़ाई जाती है। लाल गोपालगंज में मुस्लिम कारीगरों के बनाए कलावा और चुनरी की मांग दूर-दूर तक है। रमजान के महीने में रोजा रखे मुस्लिम कारीगरों को कलावा और चुनरी बनाते देखना खुशनुमा अहसास है। मार्च के अंत में रमजान खत्म होने के आसपास नवरात्रि शुरू होगा।