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जम्मू कश्मीर: तवी नदी की बाढ़ ने मचाई भारी तबाही, हजारों लोग विस्थापित

जम्मू कश्मीर की तवी नदी रिकॉर्ड तोड़ बारिश के बाद उफान पर है, जिससे कई आवासीय कॉलोनियां और कई हेक्टेयर खेती की जमीन पानी में डूब गई है। स्थानीय लोग तवी नदी को सूर्य पुत्री मानते हैं। तवी नदी की बाढ़ ने जम्मू में भारी तबाही मचाई। जिसके कारण घरों, दुकानों को काफी नुकसान पहुंचा है और कई मवेशी बाढ़ के पानी में बह गए। हालात इस कदर खराब है कि लगभग 6,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं। बीते शुक्रवार को जैसे आसमान साफ हुआ, प्रभावित परिवार अपने बढ़ प्रभावित क्षतिग्रस्त घरों की ओर लौटने लगे ताकि बचे हुए सामान को घरों से निकाल सकें और इस त्रासदी से हुए नुकसान का जायजा ले सकें। बाढ़ की विभिषिका झेलने के बाद प्रभावित लोग धीरे-धीरे अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।

बाढ़ प्रभावित लोगों का आरोप है कि उन्हें सरकारी अधिकारियों से किसी तरह की मदद नहीं मिली और प्रशासन ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है।बाढ़ का ये आलम है कि तवी नदी के किनारे रहने वाले लोगों के चेहरों पर दहशत और हताशा की परछाई साफ दिखाई दे रही है, हालांकि पानी कम हो गया है। कई लोग खामोशी से खड़े अपने आस-पास पड़े मलबे को देख रहे थे।

निचले इलाकों में खासा तबाही हुई है। कुछ परिवारों का कहना है कि वे बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाए हैं। बाढ़ के कारण स्कूलों को भी काफी नुकसान हुआ है। सुले चौक के एक सरकारी स्कूल के कमरे गाद और मलबे से भर गए हैं, जिसकी वजह से फिलहाल उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। बाढ़ का प्रभाव कई सड़कें पर भी दिखा है, वो टूट गई हैं, जिससे यातायात पुलिस को मुसाफिरों के लिए दूसरे रास्तों से भेजने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित सड़कों की मरम्मत का काम चल रहा है, लेकिन इसमें समय लगेगा। जम्मू और सांबा में बाढ़ में तबाह हुई संपत्तियों को बचाने और पुनर्वास के लिए कई एजेंसियों को काम पर लगाया गया है। गुरुवार को इस क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ में चार और लोग बह गए। बाढ़ से दर्जनों इलाकों में लगभग दो से तीन हजार घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान पानी में डूब गए हैं और पशुधन का भी काफी नुकसान हुआ है।
आईएमडी ने कहा कि लगभग एक सदी पहले जम्मू में भी ऐसी ही बारिश हुई थी, जब पांच अगस्त, 1926 को 24 घंटों में 228.6 मिलीमीटर बारिश हुई थी।