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सेला सुरंग का करीब 98 फीसदी काम पूरा, साल के अंत तक खुलने की उम्मीद

अरुणाचल प्रदेश: बीआरओ के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि रणनैतिक रूप से अहम सेला सुरंग का करीब 98 फीसदी काम पूरा हो गया है, जो अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी जारी रखेगा। इसका उद्घाटन साल के अंत तक होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि सुरंग को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसमें सुरक्षा उपाय भी किए जा रहे हैं। सेला सुरंग की खुदाई 4,200 मीटर सेला पास के नीचे की गई है, जो अक्सर बर्फबारी और भूस्खलन की वजह से बंद रहता है।

सेला पास तवांग जिले को बाकी अरुणाचल प्रदेश से जोड़ता है। ये सुरंग पूरे साल तवांग और चीन की सीमा से लगे दूसरे इलाकों तक पहुंचने में मदद करेगी। इसके बनने से भारतीय सेना की रणनैतिक और परिचालन क्षमताओं में इजाफा होगा, जिससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों और हथियारों को तेजी से और ज्यादा कुशलता से तैनात किया जा सकेगा।

बीआरओ की देखरेख में काम को अंजाम दे रही कंपनी के ऑन-साइट इंजीनियर कुलदीप सिंह ने कहा कि 2023 के अंत तक इसका उद्घाटन होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ये परियोजना 98 फीसदी पूरी हो चुकी है, केवल दो फीसदी काम बाकी है जो अहम है। मौसम सही रहा तो ये दो-तीन महीनों में पूरा हो जाएगा लेकिन वे इसके पूरा होने की सटीक तारीख नहीं बता सकते हैं।

सुरंगों, अप्रोच रोड और लिंक सड़कों समेत परियोजना की कुल लंबाई करीब 12 किलोमीटर होगी। सेला पास का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, क्योंकि ये 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान युद्ध का स्थल था, जहां जसवंत सिंह रावत नाम के एक भारतीय सैनिक ने दो स्थानीय लड़कियों सेला और नूरा की मदद से 72 घंटों तक चीनी सेना को रोके रखा था। बाद में नूरा को पकड़ लिया गया और सेला को मार दिया गया। पास और सुरंग का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है। 

सेला पास के नीचे सुरंग बनाने का विचार पहली बार 2008 में अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दोरजी खांडू ने प्रस्तावित किया था। इस परियोजना को 2018 में सुरक्षा पर बनाई गई कैबिनेट समिति ने मुहर लगाई थी। फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। इसमें दो मुख्य सुरंगें, एक एस्केप सुरंग और एक लिंक रोड शामिल है। दोनों सुरंगें मिलकर सेला पास को बायपास करती हैं और तीन हजार मीटर की ऊंचाई बनाए रखती हैं। अधिकारियों ने बताया कि आपातकालीन स्थिति में बचाव कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए एस्केप टनल बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में यातायात की निगरानी करने और सुरंगों में दूसरी जरूरी सेवाओं को दूर से संचालित करने के लिए आधुनिक कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है।