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कभी लोग मुझे हमदर्दी की नजर से देखते थे, पद्म श्री मिलने बोले सतेंद्र सिंह लोहिया

Indore: पद्मश्री से नवाजे गए अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराक सतेंद्र सिंह लोहिया को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए शारीरिक, मानसिक और सामाजिक चुनौतियों के महासागरों को पार करना पड़ा है। राज्य के भिंड जिले के गाता गांव से ताल्लुक रखने वाले 35 साल के लोहिया ने कहा‘‘पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना जाना बहुत बड़ी बात है जिसे मैं महसूस तो कर सकता हूं, पर शब्दों में बयान नहीं कर सकता।’’ 

उन्होंने,‘‘शुरुआत में लोग मुझे हमदर्दी की नजर से देखते थे। वे कहते थे कि पैरों में समस्या के कारण मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है, लेकिन मैंने सोचा कि मुझे लोगों की सहानुभूति का नहीं, बल्कि उनके सम्मान का पात्र बनना है। इसके लिए मैंने अपने मन में शक्ति जुटाई।’’ लोहिया के मुताबिक बचपन में चिकित्सकों की कथित लापरवाही के कारण पैरों पर दवा के दुष्प्रभाव से 12 साल की उम्र में उन्हें चलने में दिक्कत पेश आने लगी जो लगातार बढ़ती चली गई। 

कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक जीत चुके लोहिया तैराकी की बैकस्ट्रोक शैली में महारत रखते हैं। अब उनकी नजर 2026 में जापान में होने वाले एशियाई पैरा खेलों पर है। लोहिया को ‘तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार’ और मध्यप्रदेश के सर्वोच्च खेल अलंकरण ‘विक्रम पुरस्कार’ से भी नवाजा जा चुका है। वो राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग में काम करते हैं।