गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा जूलॉजिकल सेंटर को सुप्रीम कोर्ट की एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वंतारा में सभी नियमों और कानूनों का पालन हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में पहले याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें आरोप लगाए गए थे कि वंतारा में हाथियों, चिड़ियों और अन्य संरक्षित जानवरों को गैरकानूनी तरीके से लाया गया और उन्हें वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास के नाम पर रखा गया। इन याचिकाओं और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर एसआईटी का गठन किया गया था।
एसआईटी ने जांच में पाया कि:
1. जानवरों, विशेषकर हाथियों, का अधिग्रहण कानून के अनुसार हुआ है।
2. वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघर नियमों का पालन किया जा रहा है।
3. सीआईटीईएस (CITES) और आयात-निर्यात नियमों का पालन ठीक से हो रहा है।
4. जानवरों की देखभाल, स्वास्थ्य और कल्याण मानकों का ध्यान रखा जा रहा है।
5. जलवायु और औद्योगिक क्षेत्र से जुड़ी शिकायतें निराधार पाई गईं।
6. प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रम और जैव विविधता संसाधनों का सही उपयोग किया जा रहा है।
7. जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग के कोई प्रमाण नहीं मिले।
8. वित्तीय अनुपालन और धन शोधन के मामले भी सही पाए गए।
एसआईटी की रिपोर्ट को जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने रिकॉर्ड में लिया है और कहा है कि अधिकारियों ने वंतारा में नियमों के पालन और नियामक उपायों पर संतोष व्यक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस रिपोर्ट के आधार पर अंतिम आदेश जारी करेगी।
पहले वंतारा पर आरोप लगे थे कि यहां जानवरों की गैरकानूनी खरीद और तस्करी हो रही है। खासकर हाथियों और अन्य संरक्षित प्रजातियों को विदेशों से लाकर संरक्षण और पुनर्वास के नाम पर रखा गया। इस मामले की जांच के लिए 25 अगस्त को एसआईटी का गठन किया गया था, जिसका नेतृत्व जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने किया था।