Breaking News

IPL 2024: राजस्थान ने चेन्नई को दिया 142 रनों का टारगेट     |   दिल्ली: चांदनी चौक की एक दुकान में लगी आग, दमकल की 13 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया     |   आज पटना में रोड शो करेंगे पीएम मोदी, शाम 6:30 बजे से होगी शुरुआत     |   संदेशखाली पुलिस ने एक BJP कार्यकर्ता को किया अरेस्ट, पार्टी कार्यकर्ताओं ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन     |   हरियाणा: फ्लोर टेस्ट के लिए विशेष सत्र बुला सकती है सरकार     |  

क्यूआर टेक्नोलॉजी मुंबई पुलिस के लिए मददगार साबित हुई

मुंबई में रहने वाला दिव्यांग बच्चा विनायक कोहली रास्ता भटकने की वजह से अपने परिवार से बिछड़ गया था। लेकिन क्यूआर यानी क्विक रिस्पांस कोड पेडेंट की वजह से वो कुछ घंटों के भीतर ही अपने परिवार के पास पहुंच गया। ये क्यूआर कोड पेंडेंट दिव्यांग विनायक के माता-पिता का पता लगाने में मुंबई पुलिस के लिए मददगार साबित हुआ।
 
विनायक 11 अप्रैल को वर्ली इलाके के अपने घर से लापता हो गया था। वो कोलाबा जाने वाली बस में सवार हो गया था। क्यूआर कोड पेंडेंट बुजुर्ग और दिव्यांग बच्चों को खो जाने पर घर का रास्ता खोजने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। लॉकेट में स्लीक डिजाइन होता है और ये एक धागे से बंधा होता है। इसे स्कैन करने के बाद उसे पहनने वाले व्यक्ति का पता और उससे जुड़ी जानकारी का पता लगाया जा सकता है।

क्यूआर कोड पेंडेंट 24 साल के अक्षय रिडलान के दिमाग की उपज है। वे प्रोजेक्ट चेतना के जरिए पेंडेंट मुफ्त में बांटकर बुजुर्गों के साथ-साथ अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद कर रहे हैं।