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जमीन अधिग्रहण के विरोध में जबलपुर के लोगों का विरोध, चुनाव बहिष्कार की धमकी

 मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के 59 गांवों के लोग जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। राज्य का औद्योगिक विकास और वन विभाग उनकी जमीन ले रही है। करीब एक लाख की आबादी वाले आदिवासी बहुल गांवों में लगभग पचास हजार वोटर हैं। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

विरोध करने वालों का दावा है कि उन्होंने बंजर या परती जमीन को खेती के लायक जमीन में बदला और कई दशकों से खेती भी कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार बिना सूचना दिए या उनसे सहमति लिए उनकी जमीन छीन रही है।

 जबलपुर जिला प्रशासन का कहना है कि वो गांव वालों के दावों की जांच करेगा और जल्द से जल्द समस्या का समाधान करने की कोशिश करेगा। जबलपुर में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण में वोटिंग होगी। ऐसे में ये मुद्दा राजनैतिक तौर पर गर्म है। बीजेपी का कहना है कि फिलहाल आदर्श आचार संहिता लागू है, लिहाजा वो चुनाव के फौरन बाद गांव वालों की मांगों पर विचार करेगी। जबलपुर से कांग्रेस उम्मीदवार ने विरोध करने वालों से चुनाव का बहिष्कार करने के बजाय बीजेपी के खिलाफ वोट करने की अपील की है। राज्य कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को उमरिया शहर के पास जंगल में 'महुआ' जमा करने वाली महिलाओं से राहुल गांधी की बातचीत पर व्यंग्य किया और आदिवासी संस्कृति का अपमान किया। उन्होंने राज्य सरकार पर आदिवासियों के मुद्दों को नजरंदाज करने का आरोप लगाया। विरोध प्रदर्शन करने वाले जमीन वापस पाने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार उनसे गलत तरीके से जमीन छीन रही है।