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नाबालिग से लोन एजेंट व कर्मियों ने किया दुर्व्यवहार, आहत बच्ची ने जहर खाकर दी जान

चतरा: हजारीबाग में लोन का किस्त जमा नहीं करने पर फाइनेंस कंपनी के कर्मी द्वारा गर्भवती का उसके ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर चतरा में नन बैंकिंग कंपनियों के गरीबों पर कहर ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। यूं कहें तो चंद नॉन बैंकिंग कंपनियों के बेलगाम कर्मियों के गैर-कानूनी करतूतों ने पूरे बैंकिंग व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा कर दिया है। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला चतरा में प्रकाश में आया है। जहां कैशपार माईक्रो क्रेडिट नामक कम्पनी में लोन का किस्त जमा करने गई नाबालिग बच्ची ने नॉन बैंकिंग कंपनी के कर्मियों की प्रताड़ना और दुर्व्यवहार से तंग आकर अपनी जान दे दी है। 

घटना जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के हारा नौकाडीह गांव में घटी है। घटना के बाद जहां पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है वहीं घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। हालांकि पुलिस के कोई भी बड़े अधिकारी अभी इस मामले में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि जांच के बाद दोषियों के विरुद्ध हर हाल में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। कैशपार माईक्रो क्रेडिट समूह के एजेंट एवं कर्मियों पर आरोप है कि उनके द्वारा लोन का किस्त जमा करने गई एक नाबालिग बच्ची के साथ दुर्व्यवहार की घटना को अंजाम दिया गया है। जिससे आहत नाबालिग बच्ची ने विषपान कर अपनी जान दी है।  

घटना प्रतापपुर थाना क्षेत्र के हारा नौकाडीह गांव की है। जहां मृतिका रामरुक्ष भारती की 17 वर्षिया लड़की रुबी कुमारी (काल्पनिक नाम) ने आत्महत्या की घटना को अंजाम दिया है। मृतिका की मां के अनुसार उसकी बहु शांति देवी कैशपार माईक्रो क्रेडिट समूह से लोन ली थी। लोन का किस्त प्रत्येक सप्ताह चुकाया जाता था। इसी निमित शुक्रवार को भी कैशपार माईक्रो क्रेडिट के एजेंट सुनील पासवान अपने सहयोगियों के साथ किस्त वसूलने हारा नौकाडीह गांव आया था। मृतिका अपने भाभी के लोन का किस्त जमा करने उसके पास गई थी। इसी दौरान कैशपार माईक्रो क्रेडिट कंपनी के एजेंट सुनील पासवान एवं उसके सहयोगियों ने नाबालिग बच्ची के साथ गाली-गलौज, छेड़छाड़ एवं दुर्व्यवहार की घटना को अंजाम दिया। 

परिजनों के अनुसार, अपने साथ हुए दुर्व्यवहार से आहत रुबी कुमारी घर आई और विषपान कर ली। जिसके बाद आनन-फानन में परिजन उसे सदर अस्पताल चतरा ले गए। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे हजारीबाग रेफर कर दिया। लेकिन हजारीबाग जाने के दौरान रास्ते मे ही रूबी की जान चली गई। इस सनसनीखेज मामले में मृतका के परिजनों के बयान के आधार पर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। हालांकि पुलिस के कोई भी बड़े अधिकारी इस मामले में भी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी लव कुमार ने कहा है कि मामला संगीन है। जांच के बाद दोषियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

इधर मामला उजागर होने के बाद कैशपार माईक्रो क्रेडिट नन बैंकिंग कंपनी के आरोपी कर्मी व उसके सहयोगी फरार हैं। जिससे पूरे मामले में कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि नन बैंकिंग कंपनी आखिर किसके इशारे पर और संरक्षण में आए दिन गरीबों और आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार की घटना को अंजाम दे रहे हैं। क्या किस्त वसूली प्रक्रिया में कानूनी प्रावधानों का अनुपालन की बाध्यता उन्हें नहीं है। उनके द्वारा इन प्रक्रियाओं के अनुपालन में स्थानीय पुलिस का कानूनी तरीके से सहयोग क्यों नहीं लिया जाता है। क्या ये कंपनियां आरबीआई नियमों से ऊपर हैं। 

बहरहाल मामला जो भी हो इसका खुलासा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगा। लेकिन इस बात से भी तनिक भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछड़े और नक्सल प्रभावित इलाकों में आज कई ऐसी नन बैंकिंग कंपनियां कार्यरत है जो गरीबों और असहाय लोगों को मोटी रकम ब्याज के रूप में देकर नियमविरुद्ध वसूली करते हैं। इतना ही नहीं पैसे नहीं देने पर उन्हें प्रताड़ित भी कर रहे हैं। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस इस सनसनीखेज और गंभीर मामले में भी कार्रवाई करती है या फिर अन्य फाईलों की तरह यह मामला भी सिस्टम का भेंट चढ़ जाता है।