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जयंत ने छोड़ा हाथ, लेकिन अखिलेश नहीं छोड़ना चाहते जाटों का साथ

उत्तर प्रदेश के दो लड़के अखिलेश यादव और जयंत चौधरी आगामी लोकसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ेंगे. जयंत बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA के पाले में चले गए हैं. जयंत की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का सहारा थी. अखिलेश ने तो उनको 7 सीटें भी दे दी थी, लेकिन जयंत को अखिलेश का ऑफर पसंद नहीं आया और उन्हें कमल के साथ जाना ज्यादा उचित लगा. आरएलडी का पश्चिमी यूपी में अच्छा खासा वोटबैंक है और यही वजह है कि हर कोई उसे अपने साथ जोड़ना चाहता है.

सपा और आरएलडी के बीच नजदीकियां 2018 में कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में बढ़ी थीं. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में आरएलडी भी शामिल हो गई थी. 2022 का विधानसभा चुनाव भी अखिलेश और जयंत मिलकर लड़े थे. इस चुनाव में आरएलडी को आठ सीटों पर जीत मिली थी. जाट और मुस्लिम बाहुल्य वाले पश्चिमी यूपी में सपा की ताकत दिख रही थी. आरएलडी से उसकी दोस्ती आगे बढ़ रही थी. इसमें मजबूती लाने के लिए अखिलेश ने 2022 में जयंत को राज्यसभा भेजा. अखिलेश ने भी मान लिया था कि सपा-आरएलडी की दोस्ती हर गुजरते दिन के साथ मजबूत होती जा रही है.