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इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक टिप्पणी से यूपी के 31212 ‘प्रधानों’ पर आया संकट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की महिला प्रधानों के पतियों की ओर से उनके प्रतिनिधि के रूप में काम करने को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि महिला प्रधानों के काम में पतियों का इस तरह का हस्तक्षेप राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण के उद्देश्य को कमजोर करता है. हाई कोर्ट ने प्रधानपति यानी एक महिला ग्राम प्रधान के पति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की थी.

हाई कोर्ज के जज सौरभ श्याम शमशेरी ने पति की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि महिला ग्राम प्रधान के पति के पास गांव के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कोई व्यवसाय नहीं है. ‘प्रधानपति’ उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय है. इसका इस्तेमाल एक महिला प्रधान के पति के लिए किया जाता है. कोर्ट ने कहा कि एक अनधिकृत प्राधिकारी होने के बावजूद भी ‘प्रधानपति’ अनाधिकृत रूप से महिला प्रधान का काम करता है, मतलब वो अपनी पत्नी का काम करता है.