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IOA ने WFI के लिए किया तीन सदस्यीय समिति का गठन, भूपिंदर सिंह बाजवा होंगे अध्यक्ष

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बुधवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के दैनिक मामलों को चलाने के लिए तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया, क्योंकि खेल मंत्रालय ने नियमों का सही से पालन नहीं करने के कारण डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था। इस तदर्थ कमेटी में वुशू एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह बाजवा इस पैनल के अध्यक्ष होंगे, जबकि पूर्व हॉकी ओलंपियन एम. एम. सोमाया और पूर्व अंतरराष्ट्रीय शटलर मंजूषा कंवर समेत दो सदस्य होंगे।

खेल मंत्रालय ने बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के तीन दिन बाद रविवार को डब्ल्यूएफआई को भंग कर दिया और आईओए से खेल संस्था के मामलों के प्रबंधन के लिए तदर्थ पैनल गठित करने का आदेश दिया। आईओए ने विज्ञप्ति में कहा कि नवनिर्वाचित अध्यक्ष और डब्ल्यूएफआई के अधिकारियों ने अपने स्वयं के संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए मनमाने फैसले लिए हैं और सुशासन के सिद्धांतों का भी उल्लंघन किया है। 

आईओए अध्यक्ष पीटी उषा ने विज्ञप्ति में कहा कि तदर्थ समिति की नियुक्त की गई है। आईओए को पता चला है कि हाल ही में नियुक्त अध्यक्ष और डब्ल्यूएफआई के अधिकारियों ने सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ मनमाने फैसले लिए हैं और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना आईओए के फैसलों को पलट दिया है। उन्होंने बताया कि ये महासंघ के अंदर की कमी को उजागर करता है।

उन्होंने कहा कि चूंकि आईओए निष्पक्ष खेल, पारदर्शिता और  खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करने के लिए शासन के नियमों के पालन को महत्वपूर्ण मानता है। इसलिए एक तदर्थ समिति नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। तदर्थ समिति को डब्ल्यूएफआई का संचालन करने का काम सौंपा गया है जिसमें खिलाड़ियों का चयन, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए खिलाड़ियों की जानकारी जमा करना, खेल गतिविधियों का आयोजन करना, बैंक खातों का संचालन, वेबसाइट का प्रबंधन और दूसरी संबंधित जिम्मेदारियां शामिल हैं।

डब्ल्यूएफआई के चुनाव अदालती मामलों के कारण लेट होते रहे और आखिरकार 21 दिसंबर को चुनाव हुए और बृजभूषण के करीबी सहयोगी संजय ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया। गुरुवार को डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष चुने जाने के कुछ घंटों बाद संजय ने घोषणा की थी कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप 28 दिसंबर से यूपी के गोंडा में आयोजित की जाएगी, जहां से बीजेपी सांसद बृजभूषण चुने गए हैं। 

सरकार ने डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने का कारण भी स्पष्ट किया। इसमें बताया गया कि अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल आयोजन की "उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और पहलवानों को तैयारियों के लिए पर्याप्त नोटिस नहीं देना है। मंत्रालय को लगा कि नई डब्ल्यूएफआई संस्था अपने पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण में काम कर रही है, जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है।

डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रूप में संजय के चुने जाने के बाद रियो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की जबकि टोक्यो खेलों के कांस्य विजेता बजरंग पुनिया ने भी अपना पद्मश्री सरकार को लौटा दिया था। विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट ने भी अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा दिया। इन तीनों ने जंतर मंतर पर पहलवानों के पांच महीने लंबे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। इस दौरान बृजभूषण पर कई महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगा था।