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बेहद गरीबी में पले-बढ़े, मनरेगा में की मजदूरी, UP के लाल 'रामबाबू' का एशियन गेम्स में कमाल

यूपी: राम बाबू ने मौजूदा एशियाई खेलों में मिश्रित टीम 35 किमी रेस वॉक स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया। उनके माता-पिता को बेटे की आश्चर्यजनक उपलब्धि के बारे में बताने के लिए नेपाल से उनके कोच का फोन आया। उन्होंने विपरीत हालात में अपना हौंसला बना कर लक्ष्य हासिल करने के लिए बेटे की सराहना की।

गांव में उनके पड़ोसी भी सोनभद्र के एक लड़के को बड़ा होकर देश का नाम रोशन करते देख खुश हैं। उन्होंने उन दिक्कतों पर भी बात की जिनका राम बाबू और उनके परिवार को बचपन में सामना करना पड़ा बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटे।

रामबाबू के घर की आर्थिक हालत पहले बहुत खस्ता थी। पिता मजदूरी करते थे, वहीं मां गांव में लोगों के पशुओं का दूध निकालने का काम करती थीं। कोविड काल में लगे लाकडाउन में रामबाबू अपने माता-पिता के साथ मनरेगा मजदूरी करके परिवार का पेट भरने का काम किया। रामबाबू की छोटी बहन प्रयागराज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है. उससे अलग दो बहन पूजा व किरण की शादी हो चुकी है. 

रामबाबू मनरेगा के तहत मजदूरी करते थे। परिवार आज भी गांव में ही रहता है। रामबाबू के पिता छोटेलाल कोल ने बताया कि बेटे का सपना ओलिंपिक में मेडल लाने का है। उन्होंने बताया कि बेटे को सेना में हलदार की नौकरी मिलने के बाद से परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है। अभी भी वह लोग कच्चे मकान में ही रह रहे हैं। राष्ट्रीय खेलों में गोल्ड मेडल जीतने पर उनके घर पर प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों की आवाजाही बढ़ गई थी। एक आवास को छोड़कर कोई काम नहीं हुआ। प्रधानमंत्री आवास निर्माण अभी चल रहा है।