Navratri 2025: हिंदू चंद्र मास आश्विन के आगमन के साथ सोमवार को पूरे देश में शारदीय नवरात्र शुरू हो गए। इस दौरान नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि में भक्त अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं, इसे घटस्थापना के नाम से भी जाना जाता है। सोमवार को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है। देशभर के मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।
असम के गुवाहाटी में मां कामाख्या मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। गुवाहाटी का कामाख्या मंदिर 51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र और सबसे पुराना माना जाता है। नीलाचल की पहाड़ियों पर स्थित ये मंदिर तांत्रिक उपासकों और हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
झारखंड के देवघर में भी कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। यहां के प्रतिष्ठित बाबा बैद्यनाथ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। बाबा बैद्यनाथ मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
शारदीय नवरात्रि के मौके पर मध्य प्रदेश के देवास में मां तुलजा भवानी चामुंडा रानी के मंदिर को मालाओं से सजाया गया है। देवी की आरती के लिए सुबह से ही भक्त मंदिर में पहुंच गए। ऐसा माना जाता है कि यहां देवी एक ही दिन में तीन रूप धारण करती हैं। सुबह में मां चामुंडा बच्ची का रूप, दोपहर में युवा और शाम को एक वृद्ध का रूप धारण करती हैं।
राजधानी दिल्ली के मंदिरों में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। कालकाजी मंदिर में आधी रात को ही भक्तों की भीड़ लग गई। कालका मंदिर में नवरात्रि के दिन सुबह चार बजे ब्रह्म मुहूर्त में मंगला आरती होती है और अखंड ज्योति जलती है।
मध्य प्रदेश के आगर मालवा में मां बगलामुखी मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। जिले में इस मंदिर का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडव काल में हुआ था और पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां पूजा-अर्चना की थी।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा होती है। इस दिन भक्त माता को दूध-घी से बने व्यंजन का भोग लगाते हैं और भजन कीर्तन करते हैं। नवरात्रि का त्योहार दशमी को समाप्त होता है, जिसे विजयादशमी या दशहरा भी कहा जाता है। ये बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।